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Sunday, April 4, 2010

लुत्फ़ बीमारी के..DR Nutan NiTi

हाय रे- जब भी मै रात्री इमरजेंसी करती हूँ .. घर जाती हूँ सुबह का उजाला दिल जला रहा होता है और में गृह कार्यो में अपना हाथ  बंटाने  लगती हूँ फिर दिन की OPD करती हूँ और आते जाते कोरिडोर से वार्ड पर निगाहें जाती है तो मेरा दिल बैठने लगता है ..अभी परसों की ही तो बात है एक नेता जी की बीबी को थोडा सा हल्का बुखार था और सारा हॉस्पिटल दौड़ाया हुवा था ..बाकी के मरीज भी नेता जी के हल्ले के आगे अपनी तकलीफ को हल्का पा रहे थे ... और मै तो उस लुत्फ़ का अंदाजा ले रही थी जो  महोतर्मा साहिबा को मिल रहा था .. हम एक पैर पर उनके सिरहाने पर थे खड़े सर झुकाए ..जैसे कोई गुनाह हमने ही किया हो .. ये बुखार उनको हुवा नहीं मानों हमने दिया हो और अब हम को ही सजा भुगतनी है... हाय रे विधाता ! क्या यही विधान है ..मै इतनी स्वस्थ क्यों ..कब मेरा नंबर आये और हो जाऊं मैं  बीमार .. भगवान् को लड्डू चढ़ाउंगी .. हे प्रभू ! हे दीनो के नाथ !! कुछ तो रहम कर और कर दो हमें भी बीमार .. हो जाये हल्का सा बुखार .. आये एक दो उलटिया .. और हो जाये लाल आँख .. यूं तो हम ज्यादा न हो बीमार पर दिखे जैसे हो हम अत्यंत बीमार .. कुछ साहस हमें भी देना प्रभो कि आये न हमें पर हम चक्करघिन्नी खाए और जहाँ बहुत भीड़ हो वहीँ पर गिर जाये और जमीन पर लोटपोट जाये.. तब क्या आनंद होगा .. हम को भी इधर उधर से लोगो ने पकड़ा होगा.. कोई पंखा झलता होगा .. कोई चिल्लाता होगा हटो हटो ..रास्ता छोड़ो ..लगता होगा कि आये है किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री .. और होगा मेरा भी वैसा ही राजसी आव -भगत, सेवा - सुश्रुषा .. कोई निम्बू पानी लाता होगा .. कोई गाड़ी में हमें सहारे से लिटाता होगा .. अस्पताल कि घंटिया घनघनायेंगी मानों कि टाए टाए कर मंत्री की गाड़ी की लाल बत्ती झिलमिलाई .. डॉक्टर भी अदब से नब्ज देखते होंगे... और डर डर के प्रश्न करते होंगे बीमारी का इतिहास रिकॉर्ड करते होंगे और खून जांच के लिए सेम्पल निकालने वाले के होश फाकता हो रहे होंगे लगता होगा मानों वो सुई नहीं चुभा रहा वरन कोई नस्तर घोप रहा हो खून की  नदियाँ  बहा रहा हो २ मिली खून निकालाना ऐसा लग रहा हो जैसे २ लीटर खून ज़ाया कर दिया हो ..डर से उसका रंग पीला पड रहा हो मानो अभी अभी टेक्निसियन ही दो यूनिट रक्तदान कर खड़ा हो .. मै सर उठाऊ तो घर वाले कहेंगे लेटे रहो लेटे रहो... मेरी एक आह पर सारा हॉस्पिटल दौड़ता होगा ..... कई कहेंगे अरे हुवा .क्या......डॉक्टर के चेहरे पर घबराहट होगी कहने में भी असमर्थ कि इन्हें ऐसी कोई बीमारी नहीं जिसमे इन्हें अस्पताल भर्ती किया जाए .. मै हाथ उठाऊँ तो लोग कहे अरे अरे जरा धीमे से... कोई मेरे हाथ के नीचे तकिया लगाये ..कोई मेरी सिरहाने पे तकिया को सही लगाएगा.. कोई चम्मच से मुझे फलो का रस पिलाएगा कोई अंगूर लाये कोई जूस .. और बड़े प्रेम से सब मुझे खिलाने की कोशिश .. अरे वाह क्या ठाट होंगे लेटे लेटे ही चीलमची में दन्त मंजन होगा .. गुनगुने तोलिये से कोई मुह पौंछता होगा.. पाऊडर , सेंट, डी - ओडो छिडकता होगा , फिर आएगी बारी तेल की...मेरे सर पर तेल डाल कोई सर दबाता होगा.... कोई रिश्तेदार कहती होंगी कि क्या पैर दबा दूं .. दूर दूर से लोग मुझे मिलने आते होंगे ..मित्र और रिश्तेदार ग्रीटिंग कार्ड लाते होंगे ..झुक झुक कर कहते होंगे - गेट वेल सून .. किसी के हाथ में फूल तो कोई बुक्के लाते होंगे .. मेरे एक हाथ में फोन होगा और रिश्तेदारों और मित्रो के फोन आते होंगे कैसी हो ..जल्दी ठीक हो जाओ .. और लोग शुभकामनाये देते होंगे .. और दुसरी तरफ मेरे  मुंह  में अनार के दाने मेरी भाभी डाल रही हो .. मेरा तो मन बाग़ बाग़ हो जायेगा.. मन कि बगिया में फूल खिल जायेंगे.. और मै फूल लेने खड़ी हो जाऊंगी..ख़ुशी से नाच उठूँगी ...डॉक्टर देख लेगा खुशी से कहेगा मरीज चंगा हो गया है..अब इन्हें कर देते है हम डिस्चार्ज ( मानों उनका सर दर्द जल्दी चला जाए ) ...तब तक आएगी आवाज धढ़ाम और मै फिर गिर जाऊंगी....... चुपके से एक आँख से देखूँगी कि कोई मुझे उठाने आया... और नहीं तो लगूंगी करहाने जोर जोर से... अरे...अरे समझा करो बीमारी के भी होते है अपने लुत्फ़ ...आराम का आराम और वी-वी-आई-पी ट्रीटमेंट चाहे कोई बीमारी हो न हो ...... " डॉ साहब  औप्रेसन  थीअटर कि तैयारी हो गयी मरीज शिफ्ट कर दिया... स्टाफ नर्स सामने खड़ी थी .. इतना आनंददाई क्षण था ये - अफ़सोस ख्वाब भी नहीं देखने देते ये मुझे ...अभी अब जाना  पड़ रहा है....ड्यूटी जो बजानी है कर्त्तव्य - परायणता ..ओपरेशन थीएटर के बाहर लोगो के हाथ में बुक्के -मरीज के लिए .....काश कि चक्कर आ जाते .. जाना है काम पर , जा रही हूँ... बाई बाई .. जरा मेरे लिए शुभकामनाये दे दीजिये ..मेरे बीमार होने के लिए नहीं ..मेरे मरीज की जल्दी खुशहाली के लिए .........

Created by ॥ Dr Nutan Gairola 04/ April /2010
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7 comments:

वन्दना said...

हा हा हा………………बेहद मज़ेदार लिखा है………………मगर हम तो यही कहेंगे कि आप कभी बिमार न हों और हमे ऐसे ही डोज़ दिया करें हास्य के ताकी हमारा इलाज घर बैठे ही हो सके।

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

सही कहा संगीता जी aapne अब तो मैंने बीमार का अटेंडेंट बन कर भी देख लिया .. काफी तकलीफे भी होती है... मुझे तो दूर के ढोल शुहाने ही लगे थे... पर वाकई में वी आई पी होने के ख़ास मजे है... जो अक्सर देखने को मिलता है...

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

वंदना जी धन्यवाद... आपकी शुभकानाए सदा साथ रहे...

डॉ0 ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ (Dr. Zakir Ali 'Rajnish') said...

कैसे कैसे बीमार। मजा आ गया आपका यह अंदाजे बयां देख कर।

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

jaakir ji dhanyvaad... ji haa aise bimaar bhi milte hai... :)

अनुपमा पाठक said...

well written....
hilarious one aptly dealt with!!!
regards and best wishes!

रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" said...

वी.आई.पी होने का मजा ही कुछ ओर होता है यानि अति महत्वपूर्ण व्यक्ति उसको बुखार आया ही क्यों? बुखार को क्यों नहीं अपना VIP का कार्ड दिखाया?क्या कहा आपने वहां चला नहीं? ऐसा कैसे हो गया उस पर जांच कमेटी या आयोग बनाना चाहिए. उसकी रिपोर्ट जोकि कभी सार्वजनिक करनी हैं ही नहीं फिर आयोग बनाने में देरी क्यों?
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# निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:09868262751,09910350461 email: sirfiraa@gmail.कॉम, महत्वपूर्ण संदेश-समय की मांग, हिंदी में काम. हिंदी के प्रयोग में संकोच कैसा,यह हमारी अपनी भाषा है. हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें.हिन्दी का खूब प्रयोग करे. इससे हमारे देश की शान होती है. नेत्रदान महादान आज ही करें. आपके द्वारा किया रक्तदान किसी की जान बचा सकता है.