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न मुझे यश चाहिए, ना मुझे नाम ,
ना मुझे कीर्ति चाहिए ना मुझे दौलत ख़ास
शुकून भरी जिंदगी हो, हो आत्मविश्वास
निश्छल हंसी हो, गमो में कमी हो,
न मुझे यश चाहिए, ना मुझे नाम ,
ना मुझे कीर्ति चाहिए ना मुझे दौलत ख़ास
शुकून भरी जिंदगी हो, हो आत्मविश्वास
निश्छल हंसी हो, गमो में कमी हो,
दो जून की रोटी हो और हो अपनों का प्यार.. ,,,nutan.. 03/06/2010
फोटो गूगल - ये बच्चा बाल श्रमिक है .. किसी मोटर वर्क शॉप में काम करता है .. इसकी आँखों में कुछ विशेष भाव और कुछ अजीब सा दर्द है .. क्या हम महसूस कर सकेंगे की ये बच्चे क्या चाहते है जिसके लिए इनेह अपना बचपन खोना पड़ता है काम के पीछे | डॉ नूतन . ५ / १० / २०१०
12 comments:
अपनी अपनी मजबूरी है
फिर किस्मत भी जरूरी है
सही कहा आपने।
न मुझे यश चाहिए, ना मुझे नाम ,
ना मुझे कीर्ति चाहिए ना मुझे दौलत ख़ास
शुकून भरी जिंदगी हो, हो आत्मविश्वास
निश्छल हंसी हो, गमो में कमी हो,
दो जून की रोटी हो और हो अपनों का प्यार.
shayad wo yahi chahta hai.
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बचपन से नावाकिफ़ हैं ये बच्चे
ज्वलंत प्रश्न (समस्या) से रूबरू करवाया है आपने
saarthak
वह क्या बात है ! ज़िन्दगी में अगर इतना ही मिल जाए तो और क्या चाहिए?....बहुत सुन्दर.....आभार...
वंदना जी शुक्रिया..आपने सही कहा ..
धन्यवाद वर्मा जी... शुभकामनाये
डॉ जील .. आपने सही समझा मेरी तरह की उसको बस इतनी सी ही चाहत है |
योगेन्द्र जी.. धन्यवाद
kamaal karati hain ap... hamare hi aas-paas bikhre jeevan se itne sarthak arth wali panktiyan nikal leen.... bahut achhi prastuti
अच्छी भावनाओं का अच्छे शब्दों के साथ बहुत अच्छी अभिव्यक्ति !
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# निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:09868262751,09910350461 email: sirfiraa@gmail.कॉम,महत्वपूर्ण संदेश-समय की मांग, हिंदी में काम. हिंदी के प्रयोग में संकोच कैसा,यह हमारी अपनी भाषा है. हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें.हिन्दी का खूब प्रयोग करे. इससे हमारे देश की शान होती है. नेत्रदान महादान आज ही करें. आपके द्वारा किया रक्तदान किसी की जान बचा सकता है.
डॉ. नीति जी,
आपके ब्लॉग पर जो भी एक बार आएगा न...वह आपके बारे में एक ठोस धारणा क़ायम करके वापस जाएगा कि आपके जीवन में ‘स्व’ की जगह ‘पर’ का महत्त्व ज़्यादा है! आज के दौर में ऐसे परहितकारी व्यक्तित्व बहुत कम दिखते हैं। आपका यह चिंतन आपको आदर-योग्य बनाता है!
दूसरी बात यह कि आपने अपने घर को भी ख़ूब सजाकर रखा होगा, आप निःसंदेह एक कला-प्रेमी व्यक्तित्व की स्वामिनी जान पड़ती हैं...ऐसा आपके ब्लॉग की सुन्दर सजावट देखकर लगा!...हार्दिक बधाई...
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