वो एक कलाकार था और एक चित्रकार भी रंग भरता रहा जिन तस्वीरों पर यादों के पन्नों पर उकेरी वो आकृतियाँ चटख रंगों से हर आँखों में असमंजस भरती हुवी मन का केनवास नहीं बदला था, बदली नहीं थी कुछ हाथ की तूलिकाएं बदला था दिल बदल गए थे पात्र महज कुछ तूलिकाएं जो जुडी थी उस स्त्री की यादों से फैंक दी गयीं दूर से ही केनवास पे नजरे गाढ़े वह स्त्री और उसे जलाता गया वह चित्रकार निःशब्द थी वह स्त्री, मौन आवाक और उंगलियां चित्रकार की खींचती रही नित नयी कई आकृतियाँ निर्वस्त्र रेखाएं, पिघलते रंगों से दहकते ढकते और आँखों पे उस स्त्री के कोई किरकिरा चुभता रहा साँसों को काटता बरछी सा सीने को चाक करता रहा और वह मूक जलती रही तीव्र प्रेम की वेदना में धुंवा धुंवा होती रही जाना था उसने प्यार है ये जलना, पिघलना, धुंवा होना, राख होना उस स्त्री को रास आने लगा था जलना कहती थी वह- चित्रकार तू जलाता रह तेरी जिद की हद भी मैं जानती हूँ अब मैं सिर्फ धुंवा होना राख होना मांगती हूँ और बस आखिर में एक और अहसान मांगती हूँ मेरी कुछ तस्वीरें जो बोझा होंगी नए चित्रों के रिश्तों में और धूल में पड़ी कहीं कूड़े में अपना ठिकाना ढूंढती होंगी, बस एक एक कर उन चित्रों को जला दे, कर्ज इस स्त्री की वफ़ा का कुछ इस तरह चुका दे फिर खुद को स्वछन्द खुली हवा दे, और नए रंगों को, नयी आकृतियों को अपने केनवास में पनाह दे, इस जलन को इस आग को खुल के हवा दे| Photo – My Own Photo Edited in Web. डॉ नूतन डिमरी गैरोला
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37 comments:
दो सीमायें व्यक्त करते चित्र और बीच में झूमती कविता।
बहुत ही गहरे भावों को समेटे उत्कृष्ट रचना....क्या चित्रण किया है..लाजवाब।
nutan , shabd -chitr sundar ban pada hai . bas isi tarah likhti raho. hardik badhai! ye rachna pahale ki rachnaon se nitant alag hai. gathan hai kavita mein, jo aakarshit karta hai.
bahut gahan bhavon ko ukerti aapki rachna sarahniy hai .badhai .
वफ़ा के बदले कुछ दे न दे पर बद्दुआ तो न दे :)
वाह बहुत ही गहरी भावपुर्ण रचना, धन्यवाद
इस जलन को आग को खुल कर हवा दे ..बहुत गहन भाव लिए अच्छी रचना
कलाकार तो कमाल है... :)
बहुत गहन भावों को उकेरती एक सराहनीय रचना| धन्यवाद|
वफा जिनसे थी बेवफा हो गये हैं...
टोपी पहनाने की कला...
गर भला किसी का कर ना सको तो...
उफ़ ....!
मन को हिला गयी यह रचना ....हार्दिक शुभकामनायें आपको !!
यही समर्पण और सर्वस्व न्यौछवार की अभिलाषा तो प्यार है!
वाह
वाह! अद्भुत!!
बहुत गहरे भाव समेटे एक उत्कृष्ट मर्मस्पर्शी रचना..आभार
ओह्…………बेहद गहन और मार्मिक्…………आज फ़ेसबुक पर ऐसा ही मिलता कुछ मैने भी लिखा है सुबह्………यही कैनवस यही मन और यही चित्रकार ……………कभी कभी कैसी समानता सी आ जाती है ना विचारों में।
मन का केनवास नहीं बदला था,
बदली नहीं थी कुछ हाथ की तूलिकाएं
बदला था दिल
बदल गए थे पात्र
महज कुछ तूलिकाएं जो जुडी थी उस स्त्री की यादों से
फैंक दी गयीं
दूर से ही केनवास पे नजरे गाढ़े वह स्त्री
.....सच! समय कितना कुछ बदल देता है! सबकुछ रंगमंच की तरह चलता रहता है .....एक आता है दूसरा जाता है...
बहुत अच्छी भावपूर्ण रचना
बहुत गहरे भाओं को उकेरती सुन्दर रचना| धन्यवाद|
इस जलन को इस आग को खुल के हवा दे|
बहुत दर्द भरा है इस रचना में ! उसके मन की आँच औरों तक भी पहुँच रही है ! प्रभावशाली प्रस्तुति ! बधाई स्वीकार करें !
भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
वाह नूतन जी ...............
गहनतम एहसासों को मार्मिक अभिव्यक्ति देती आपकी गज़ब की रचना ह्रदय की गहराइयों से निकली है .....और ह्रदय में गहराई तक उतर जा रही है |
बस एक एक कर उन चित्रों को जला दे,
कर्ज इस स्त्री की वफ़ा का कुछ इस तरह चुका दे
फिर खुद को स्वछन्द खुली हवा दे,
और नए रंगों को, नयी आकृतियों को अपने केनवास में पनाह दे,
इस जलन को इस आग को खुल के हवा दे|
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बेहद अफसोश है कि चित्रकार हर बार एक पुरुष ही होता है ....पता नही ऐसा क्यों होता है....हर बार हर एक के अहसासों में....एक जो कांटा सा होता है वो कोई ना कोई आदमी ही होता है.....
डा. साहिबा धन्यवाद दुखी करने के लिए .....या अगर यूँ कहूं तो इतनी सहजता से सम्बन्धों के उहापोह को कैनवास पर उतरा है कि....मन अजीब सा हो गया.!
एक लेखिका कि यही सफलता है बधाई हो !
bahut marmik chitran kar diya aapne ek canvas par utarti aakriti ka apne man ke bhaavo ka. sunder abhivyakti.
बहुत गहरे भाव लिए रचना .....फोटो और पोस्ट का प्रस्तुतीकरण बहुत उम्दा .....हमेशा की तरह
बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवाब रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
श्रीमान जी, क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
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नए रंगों को, नयी आकृतियों को अपने केनवास में पनाह दे,
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गहरे मनोभाव समेटे सुन्दर रचना!
मन के उलझे भावों के बीच चित्रकार को प्रमुख रख कर रचयिता को उदात्त रूप दिया है. सुंदर रचना.
मन के बिभिन्न रंग गंभीर गहरे भाव उलझन को व्यक्त करे सुन्दर रचना
बधाई हो
अब मै सिर्फ धुवाँ होना राख होना मांगती हूँ
चित्रकार तू जलाता रह -
शुक्ल भ्रमर ५
डॉ० नूतन जी कमाल की कविता है बधाई और शुभकामनाएं |
बहुत गहरे भाव .......
कुछ रचनाएं ऐसी होती हैं, जिन्हें बार बार पढने का मन होता है। आपकी ये रचना उनमें से एक है। बहुत सुंदर
कृपया मेरी भी कविता पढ़ें और अपनी राय दें..
www.pradip13m.blogspot.com
Very different type of creation. Loving the pic and the Chitrkaar as well.
bahut hi achhi rachna
देर से आने के लिए क्षमा चाहता हूँ बहुत सार्थक रचना है आपकी | आपने मेरे पोस्ट पर आकर मेरा हौसला बढाया इसके लिए आपका धन्यवाद !!
देर से आने के लिए क्षमा चाहता हूँ |बहुत खूब! कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
बहुत सार्थक रचना है आपकी | आपने मेरे पोस्ट पर आकर मेरा हौसला बढाया इसके लिए आपका धन्यवाद !!
bahut hi marmik aur sunder prastuti.............
नूतन जी आपकी यह कविता एक अव्यक्त व्यथा में अभिषोक्त है -आदि से अन्त तक । कविता का पोर-पोर व्यथा का जीता -जागता अनुवाद 1
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