रात में अक्सर मेरी खिडकी से एक साया उतर कमरे की हवा में घुल जाता है| आने लगती है गीली माटी की गंध और आँखे मेरी फ़ैल जाती है छत पर जहाँ से अपलक निहारता है मुझे मेरा वृद्ध स्वरुप|
रात में अक्सर जब लोग घरों के दरवाजे बंद कर देते हैं तब खुलता है एक द्वार कलमबद्ध करता है कुछ जंग खाए कुंद दिमाग के जज्बात और मलिन यादों के चलते जो अक्सर रह जाते हैं शेष |
रात में अक्सर याद आता है वो सफर जो सफर नहीं था था एक ठहराव खुशियों का खिलखिलाती ताज़ी कुछ हंसी जैसे किसी काले टोटके ने रोक ली हो और मुस्कुराता चेहरा धूमिल हो डूब जाता है आँखों के सागर में |
रात में अक्सर जब शिथिल हो कर गिर जाती है थकान शांत बिस्तर में रात उंघने लगती है तब पर तन्हाइयां उठ कर जगाने लगती हैं और कानाफूसी करती है कानों में नीलाभ चाँद देर रात तक खेला करता तारों से|
द्वारा - डॉ नूतन डिमरी गैरोला सभी चित्र नेट से … उनका आभार जिनकी ये तस्वीरें हैं .. |
37 comments:
जब हम अकेले होते हैं तो हमारे विचार, हमारे चिंतन बहुत स्पष्ट होते हहैं।
bhut sundar....ek chalchitra sa kheench raha hai saamne..kalpnao ka....laazwaab:)
*सृजनीय एकांत
रात का सृजीय एकांत, भूत और भविष्य दोनों ही वर्तमान से बतियाने आ जाते हैं तब।
मन से की गई अभिव्यक्ति.
बहुत ही खूबसूरती से रात के एकांत को आपने बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया है आपने
रात से जुड़ी सारी अभिव्यकतियां एक सच की ओर ईंगित करती हैं
जो हममें से किसी न किसी के साथ पैबंद है।
sunder raat ki abhivaykti....
बहुत खूबसूरती से लिखा है जो शांत मन से अक्सर याद आता है ...
बहुत अच्छी प्रस्तुति
रात के सन्नाटे में मन में उभरने वाली अनकही अनसुनी बातों के खामोश आहटों का सूक्ष्म चित्रण...बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
खुबसूरत रचना....
सादर...
बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति| आभार|
बहुत खूब ... नए नए बिम्ब हैं इस लाजवाब नज़्म में .. रात में अक्सर शिथिल हो कर गिर जाती है थकान ... बहुत ही कमाल का बिम्ब है ...
यही विचार तो नव सृजन को जन्म देते हैं।
खूबसूरत ...
खुबसूरत रचना....
सादर...
bahut sundar........par akaelapan jhalkta hain...
रात्रि के एकांत में अंतर्मन अपने आप से मिलता है, जो दिन के कोलाहल में संभव नहीं होता, आपने इस कविता में नए प्रतीकों का प्रयोग कर एक सुंदर शब्द चित्र प्रस्तुत कर दिया है... आभार!
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Beautiful imagination but kinda scary as well !
Nice creation !
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शब्दों एवं चित्रों का बेहतरीन सामंजस्य ! सुंदर प्रस्तुति ,
आभार............
पी.एस. भाकुनी
बेहद गहन भाव संजोये है रचना…
Beautiful as always.
It is pleasure reading your poems.
sundar
सुन्दर तस्वीरों के साथ सुसज्जित गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! प्रशंग्सनीय प्रस्तुती!
बेहद खूबसूरत ,भावपूर्ण नज्में !
आभार !
गहन भावों का समावेश लिये बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
अदभुत भावपूर्ण प्रस्तुति.
विचारों का द्वंद और भावों की गहनता छाप छोडती है मन पर.
अनुपम अभिव्यक्ति के लिए आभार.
रात का एकांत
और मन की भावनाएं
बहुत ही प्रभावशाली शब्दों में
अभिव्यक्त हो उठीं हैं ....
अनूठा सृजन .
अनुपम अभिव्यक्ति गहन प्रस्तुति...सुन्दर
बिलकुल यही मनोदशा रहती है इंसान की.
यथार्थपरक सुन्दर संवेदनशील रचना...
सुंदर प्रस्तुति
बहुत सुन्दर सन्देश देती हुई रचना!
its wonderful.
सुन्दर रचना, खूबसूरत अंदाज़
रात के सन्नाटे में गहन उठते एहसास
क्या कहूँ , आपकी इस नज़्म ने कई कोलाज़ बना दिये है मन के कनवास पर .. मेरे पास इस वक्त शब्द नहीं है .. कुछ कहने के लिये .. बस एक मौन ...इस सुन्दर कविता को धीरे धीरे पिघलते हुए देखने के लिये ..
आभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
नूतन जी, बहुत गहरी बातें कह दी आपने कविता के माध्यम से। अभिभूत हूं पढकर।
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कम्प्यूटर से तेज़!
इस दर्द की दवा क्या है....
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