जाना था हीरा, बेपरखा भरोसा मिट्टी निकला|
तुम बिन है, संग मेरे विराना, अकेली नहीं|
अपने थे जो तोड़ गए दिल को अपने हैं वो|
खामोशी बोली मुझसे बातें करो चुप्पी ना भली|
बाद उसके जाने के जाना था कि थी वो बहार |
डॉ नूतन गैरोला
तस्वीरें -नेट से आभार उनका जिनकी ये तस्वीरें हैं| अखिरी पेंटिंग - चित्रकार ग्रेग चेडविक , केलिफोर्निया
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17 comments:
बेहतरीन प्रस्तुति ।
खामोशी बोली मुझसे बातें करो....चुप ना भली, बहुत खूब
सुन्दर हाइकू।
खामोशी बोली
मुझसे बातें करो
चुप्पी न भली
कमाल के हाइकू लगे आपके.
दर्द की सुन्दर अभिव्यक्ति
अपने थे जो
तोड़ गए दिल को
अपने है वो.
सच में अमृतरस का पान किया,नूतन जी.
मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है.
आपकी टिपण्णी में भी 'अमृत रस'होता है.
मन तृप्त हो जाता है.
सुन्दर!
प्रिय बहिन नूतन जी आपके सभी हाइकु बहुत कसे हुए , दिल को छूने वाले ही नहीं भिगोने वले भी हैं कोई भी काव्य -रचना , अनुभूति पर निर्भर होती है. अपकी संवेदना में पहले ही अमृत रस मिला हुआ है फिर हाइकु उससे बाहर कैसे जायेगा? आपका हर हाइकु अपने में पूर्ण और अर्थ की छटा समेटे हुए है. इस कठिन अभिव्यक्ति को आपने अपनी शब्द -साधना से जीवन्त कर दिया है. बार -बार पढ़ने पर भी मन नहीं भरता.
ये हाइकु तो सचमुच अमृतमय हैं-
तुम बिन,
संग मेरे विराना,
अकेली नहीं
XX
खामोशी बोली
मुझसे बातें करो
चुप्पी ना भली|
आपको बहुत बधाई एक शर्त के साथ -आप लिखती रहें. हाइकु के रस को प्रवाहित करने के लिए समय निकाल लिया करें. अपका काम अद्भुत है , श्लाघ्य है
बहुत खूब ...
सभी हाइकू लाजवाब ...
कुछ शब्दों में कहते गहरी बात ...
"ख़ामोशी बोली....मुझसे बातें करो..... "
सच... ख़ामोशी अपना दर्द...कितनी ख़ामोशी से बयां कर जाती है...पता ही नहीं चल पाता...
और जब तक पता चलता है....तब तक ख़ामोशी..चीखों के हाथों क़त्ल हो चुकी होती है.....
गहन भाव लिए हुए सुन्दर हाईकू
बहुत बेहतरीन हाइकू|
चित्र भावों को गाढ़ा कर गये।
ख़ामोशी बोली
मुझसे बातें करो
चुप्पी न भली |
........................बहुत सुन्दर हाइकू , कम शब्दों में बड़ी बातें
बढ़िया हाइकू प्रस्तुत किया है आपने!
अच्चॆ हाइकु- ‘तुम बिन’... चार अक्षर... सुधार लें :)
बहुत प्यारे और दिल को छूने वाले हाइकू !
बहुत सटीक और गहराई लिये हुये, शुभकामनाएं.
रामराम.
वाह.....आप भी अच्छे हाईकू लिख लेती हो......!!
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