हे पुरुष! तुम मायासुत जैसे, मर्यादित.. तन मन की व्यथा भुला कर .. भूख प्यास से ऊपर उठ कर .. घर द्वार को पीछे रख कर .. दंभ हिंसा से कोसों दूर दया, प्रेम को अपनाकर निष्कपट हो कर… नीतिपथ पर निर्विकार सतत कर्म की मानवसेवा की अलख जगाये हो|
सुन !! फिर भी तुम मायासुत ना बन सकोगे … जानती हूँ कि यूँ तो यश की तुम्हें कोई कामना नही| फिर भी सत्कर्म कर नीतिपथ पर चल कर भी उंगलियां उठती रहेंगी तुम पर कितनी और तुम उनमें कुछ आभाविहीन उंगिलयों को जर्द जान प्राण सिंचित कर दोगे अपनी रक्त लालिमा से| और अडिग अपने पथ, कर्तव्य की बेदी पर मानवता की सेवा में अदृश्य ही बलिदानी हो जाओगे|
इसलिए हे पुरुष !! तुम वन्दनीय हो| तुम श्रेष्ठ हो| तुम पूर्ण हो| तुम ह्रदयकोष्ठ में हो|
डॉ नूतन डिमरी गैरोला … ७/८/२०११ … २२:४२
फोटो - मेरी खींची हुई
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29 comments:
sunder bhav ki sunder prastuti
very nice
हृदय कोष्ट में जगह बनाती प्रस्तुति
ver very nice
dil ko chuti rachna...
ह्रदय से उपजे श्रद्धा भाव और सुंदर तस्वीर ! सराहनीय पोस्ट!
इस अनमोल रचना के लिए आपका अभिनन्दन....
सादर...
सुन्दर भावाव्यक्ति।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ... चित्र भी बहुत बढ़िया ...कहाँ का है ? यह भी लिखना था न .
sunder bhav liye sunder prastuti.badhaai sweekaren.
"ब्लोगर्स मीट वीकली {३}" के मंच पर सभी ब्लोगर्स को जोड़ने के लिए एक प्रयास किया गया है /आप वहां आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। सोमवार ०८/०८/११ को
ब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
बहुत सुन्दर रचना .....
बहुत ही भावपूर्ण एवम सारगर्भित रचना, तस्वीर भी अति मनमोहक.
रामराम.
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! प्रशंग्सनीय प्रस्तुती!
भावमय करते शब्दों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
बहुत भावपूर्ण रचना |बधाई
आशा
सुन्दर भावाभिव्यक्ति !
फिर भी
सत्कर्म कर
नीतिपथ पर चल कर भी
उंगलियां उठती रहेंगी तुम पर कितनी
और तुम उनमें कुछ आभाविहीन उंगिलयों को जर्द जान
..sach to yahi hai ki mahan log kabhi satkarm karne mein peechne nahi rahti, bolne walon ka kaam sirf bolne tak hi simit rahta hai...
bahut badiya tasveer ke saath badiya prabhavkari rachna prastuti ke liye aabhar!
भावप्रवण रचना . आभार
khoobsoorat abhivyakti,aabhaar
राजनेताओं की मक्कारी और अनवरत भ्रष्टाचार के बावजूद
भारतीय स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाएं .
मार्मिक भाव ,सकारात्मक, समर्पण लिए वैचारिक कृति ...
सराहनीय है .../ बधाई जी /
बहुत भावमयी और सारगर्भित रचना....
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..
इस उत्कृष्ट रचना के लिए साधुवाद !
बेहद भावमयी और खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
बहुत ही सुन्दर और प्यारा लेख है बधाई हो आपको आप भी जरुर आये साथ ही यहाँ शामिल सभी ब्लागर साथियो से आग्रह है की मेरे ब्लाग पर भी जरुर पधारे और वहां से मेरे अन्य ब्लाग पर क्लिक करके वह भी जाकर मेरे मित्रमंडली में शामिल होकर अपनी दोस्तों की कतार में शामिल करें
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MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......
नूतन जी नमस्कार
आप मेरे ब्लाग पर आये सबसे पहले उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद्
डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…
एक बड़ा झटका लगा आपके ब्लॉग ज्ञान की कुंजी में आ कर ..और हतप्रभ भी हूँ मैं..पूछियेगा क्यूं..
आपके इन वाक्यों का मैं मतलब नहीं समझा की आप हतप्रभ क्यों है ज़रा सा आप बताएँगे की क्या कारण है
neelkamalkosir@gmail.com
कमाल की अनुपम प्रस्तुति है आपकी.
देरी से आने के लिए क्षमा चाहता हूँ.
जन्माष्टमी के पावन पर्व पर आपको हार्दिक शुभकामनाएँ.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
भक्ति व शिवलिंग पर अपने सुविचार प्रकट कीजियेगा.
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण कविता! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ!शुभकामनाएं.
अहिंसा के विचार के जनक को आपने अच्छी श्रद्धांजलि दी है।
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