Without you
Without you, I m here, feeling meaningless.
Without you, though on the top of the world still feeling loneliness,
Without you, I m full of emotions yet speechless,
Without you, everyone consoles me but I m feeling hopeless.
Come and embrace me......O Maa !
Without you my soul is bodiless -
Without you O Maa....Without you.
Written by - Dr Nutan Gairola .. In the memory of My Beloved Mother
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Thursday, September 16, 2010
Tuesday, September 14, 2010
थका परिन्दा - तरसतीं आँखें .. रचना - डॉ नूतन गैरोला
थका परिन्दा - तरसतीं आँखें
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तेरी याद में दिन इक पल सा ओझल होने को है |
और अब शाम आई नहीं है के सहर होने को है ||
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मेरे सब्र का थका परिन्दा टूट के गिरने को है |
दीदार को तरसती आंखे और पलकों के परदे गिरने को है ||
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चिरागों से कह दो न जलाये खुद के दिल को इस कदर |
के रोशनी का इस दिल पर अब ना असर कोई होने को है ||
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मेरी ये पंक्तिया उन थके माता पिता को समर्पित है जिनके बच्चे बड़े होने पर गाँवों में या कही उनेह छोड़ कर चले जाते है अपनी रोजी रोटी के लिए और इस भागमभाग में कहीं बुढे माता - पिता उनकी आस में उनकी यादो के साथ उनका इन्तजार करते रह जाते है.. .....
डॉ नूतन गैरोला 12/जूलाई /2010 ..१०:०० बजे रात्री
photo - google
Monday, September 13, 2010
आशा की किरणें -- Dr Nutan Gairola "amrita"
रात के गहन अन्धकार में
आसमान के असीम विस्तार में |..
नहीं दिखता है अभी तुम्हें
धुंधला रहस्य बिन्दु निशा पटल पे |..
धुंधला रहस्य बिन्दु निशा पटल पे |..
जहाँ से चीर के आएगी जिंदगी
स्वर्णिम आभा के संग किरणों की फुहार में |..
यकीन करना होगा बस तुम्हें ,
सूरज के प्रकाश में ,कुछ और बस ..
....कुछ और पल के इन्तजार में !!
....कुछ और पल के इन्तजार में !!
द्वारा -डॉ नूतन गैरोला -- १४=०९=२०१० ००:३५
Sunday, September 12, 2010
खुद से खुद की बातें ||.. द्वारा - डॉ नूतन गैरोला
मेरे जिस्म में प्रेतों का डेरा है
कभी ईर्ष्या उफनती,
कभी लोभ, क्षोभ
कभी मद - मोह,
लहरों से उठते
और फिर गिर जाते ||
पर न हारी हूँ कभी |
सर्वथा जीत रही मेरी,
क्योंकि रोशन दिया
रहा संग मन मेरे,
मेरी रूह में ,
ईश्वर का बसेरा है ||
स्वरचित - द्वारा - डॉ नूतन गैरोला 11-09-2010 17:32फोटो - खुद के केमरे से
कभी ईर्ष्या उफनती,
कभी लोभ, क्षोभ
कभी मद - मोह,
लहरों से उठते
और फिर गिर जाते ||
पर न हारी हूँ कभी |
सर्वथा जीत रही मेरी,
क्योंकि रोशन दिया
रहा संग मन मेरे,
मेरी रूह में ,
ईश्वर का बसेरा है ||
स्वरचित - द्वारा - डॉ नूतन गैरोला 11-09-2010 17:32फोटो - खुद के केमरे से
फोटो गूगल सर्च .
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