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Saturday, October 16, 2010
पुनरावर्ती - Dr Nutan gairola
जीती रही, जन्म जन्म पुनश्च
मरती रही, मर मर जीती रही पुनः
चलता रहा सृष्टिक्रम
अंतविहीन पुनरावृत्ति क्रमशः ~~~
डॉ नूतन गैरोला / १६ - १० - २०१० २०:१२
Thursday, October 14, 2010
Instant Picture Comments - Dr Nutan
चाय के संग - एक तरोताजा दिन - शुभप्रभात
शुभप्रभात और शुभदिवस की कामनाओं के साथ , आपका दिन अनुकूल हो ..
और हो एक तरोताजा दिन ..
मेरे पेज पर चाय के साथ स्वागत है आपका :))
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द्वारा नूतन
द्वारा नूतन
द्वारा डॉ नूतन
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डॉ नूतन गैरोला
जब चाँद गगन पर आने लगे ,
और रात का अँधेरा शर्माने लगे |
तुम एक नीलिमा सी बन फूलों की,
मेरे सपनो में आ गुनगुनाने लगे || by nutan
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शुभप्रभात .. शुभदिवस ..
मृदु मंद सुगन्धित शीतल बयार हो,
आशाओं से सिंचित जीवन के तार हो,
कर्म में सृजनता व दिल में लगाव हो,
प्रफुल्लित मन हो खुशियों का संचार हो .
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शुभप्रभात और शुभदिवस की कामनाओं के साथ , आपका दिन अनुकूल हो ..
और हो एक तरोताजा दिन ..
मेरे पेज पर चाय के साथ स्वागत है आपका :))
सहायतार्थ
जिंदगी इतनी आसान नहीं कि, कागजो में लिखी जाये |
जो चाहा मन में देखा सपना, उसको भी जी लिया जाये||
कितने ही हाथ मांगते सहारा, हम बन उनका सहारा
कुछ अपनों के लिए, कुछ गैरों के लिए भी जिया जाये ||
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द्वारा - डॉ नूतन गैरोला
मौन
मुझे चुप रहने दो ..
खुद से बाते करने दो ..
ना पूछना कि यहाँ लिखा क्यों ..
ख़ामोशी का इजहार तो करने दो ...
डॉ नूतन गैरोला
पाबन्दी
.
दिल पे लगे जख्म बयां किये नहीं जाते,
और मुंह भी सी दिया गया हो जब ,
बस एक आँख ही तो रह जाती है..
बस एक आँख ही तो रह जाती है..
नस्तर सी दिल की चुभन लिए....
..
पत्थरों का जमाना
दीवारों पे यूं न सजाओ तस्वीर मेरी कि पत्थरों से जमाना है ...
जिनकी दोस्ती पे फक्र है हमें ....
जिनकी दोस्ती पे फक्र है हमें ....
उनका भी कहाँ ठिकाना है ...
द्वारा नूतन
कैसा रहेगा - मातृत्व की तम्मना
तुम आकाश से उतरो
मेरे घर मेरे आँगन में आओ .. कैसा रहेगा
तुम मेरी पलकों से उतरो
मेरे सपनो से मेरे संसार में आओ .. कैसा रहेगा
तुम मेरी पलकों से उतरो
मेरे सपनो से मेरे संसार में आओ .. कैसा रहेगा
द्वारा डॉ नूतन
मुस्कान के पीछे
मेरी इस मुस्कराहट पे न जाना,
इक गम का तूफ़ान छुपा हुवा है,
आन्सुवों का सैलाब रुका हुवा है ,
अरमान सारे राख में खाकसार हुवें हैं ,
जलने को अब बचा भी क्या है,
बस वो दर्द दिल में रचा बसा हुवा है ...
.
फोटो - माँ की तेहरवीं पर
.
माँ तू कहाँ -- ---तेहरवीं पे- नूतन
एक मीठी नींद की आवाज
डॉ नूतन गैरोला
और रात का अँधेरा शर्माने लगे |
तुम एक नीलिमा सी बन फूलों की,
मेरे सपनो में आ गुनगुनाने लगे || by nutan
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एक मीठी नींद की लिए आगाज ..
have a sound n soothing sleep.. Good Night...Dr Nutan Gairola...
feb 13 - 2010
फोटो सौजन्य -गूगल ईमेज
have a sound n soothing sleep.. Good Night...Dr Nutan Gairola...
feb 13 - 2010
फोटो सौजन्य -गूगल ईमेज
शुभकामनाएं
अंधेरो में भी झिलमिलाती रौशनी का कारवाँ मिले,
सूरज में प्रकाश संग शीतलता का अहसास मिले..
तुझे दुनियां जहाँ की हर खुशियों का साथ मिले..
तुझे तेरे अपनों का सच्चा प्यार मिले ..
द्वारा डॉ नूतन डिमरी गैरोला
Tuesday, October 12, 2010
On Mayank's Birthday 18 sep 2010
मयंक के जन्म दिन पर १८ / सितम्बर / २०१०
पंक्तिया भाई श्री प्रकाश जी के सौजन्य से
पिक्चर प्लेट मैंने बहुत जल्दी में बनायीं थी .. रात १७ / सितम्बर /२०१०
ये पोस्ट फेसबुक में . १८ / सितम्बर / २०१०
आशाओं की नव कोंपल सा..
आम्र मंजरी की महक सा..
प्रभात के सुकुमार मुख सा..
महके हर पल जीवन..
फूलों सा बहारों सा ...
*स्वागत* * स्वागत* * स्वागत*
फेसबुक की मित्रमंडली की ओर से मयंक को जन्मदिन मुबारक मनमोहन जी को और परिवार को बधाई व शुभकामनाएं ..
मयंक जीवन में नित प्रगति हो ..जीवन खुशियों से भरपूर हो .. दीर्घायु भवः
पंक्तिया भाई श्री प्रकाश जी के सौजन्य से
पिक्चर प्लेट मैंने बहुत जल्दी में बनायीं थी .. रात १७ / सितम्बर /२०१०
ये पोस्ट फेसबुक में . १८ / सितम्बर / २०१०
आशाओं की नव कोंपल सा..
आम्र मंजरी की महक सा..
प्रभात के सुकुमार मुख सा..
महके हर पल जीवन..
फूलों सा बहारों सा ...
*स्वागत* * स्वागत* * स्वागत*
फेसबुक की मित्रमंडली की ओर से मयंक को जन्मदिन मुबारक मनमोहन जी को और परिवार को बधाई व शुभकामनाएं ..
मयंक जीवन में नित प्रगति हो ..जीवन खुशियों से भरपूर हो .. दीर्घायु भवः
Sunday, October 10, 2010
खून यकीन का ( स्वरचित - डॉ नूतन गैरोला )
उनकी गुफ्तगू में साजिशों की महक आती रही ,
शहर-ए-दिल में फिर भी उनकी सूरत नजर आती रही |
शिकायतों के पुलिंदे बांध लिए थे मैंने ,
मुंह खोला नहीं कि उनको ऐब नजर आने लगे |
पीठ पे मेरे खंजरो की साजिशें चलती रही,
मौत ही मुझ को अब बेहतर नजर आने लगी |
यकीनन यकीन का खून बेहिसाब बहने लगा ,
लहू अश्क बन नजरों में जमने लगा |
झूठे गुमान भी जो वो मुझमे भरने लगे ,
चाह कर भी मौत मुझको मयस्सर न होने लगी |
कोई जा के कह दे मेरी मौत से कि वो टल जाये ,
कि जीने के तरीके अब मुझे भी आने लगे है ||
......*....* डॉ नूतन गैरोला .. १७ / ०५ / २०१०.......*...*....
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