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Wednesday, March 2, 2011

ओम् नमः शिवाय् - डॉ नूतन गैरोला

आज महाशिवरात्रि पर शिव भगवान की आराधना वंदना करते हैं| वो भोले भगवान जो देवादिदेवों की रक्षा के लिए विषपान करते हैं  और विष की तीव्रता से नीलकंठ हो जाते हैं- जिनके गले में सर्प, माला जैसे विराजते हैं, भस्म का लेप  कर भंगोडी भी कहलाते हैं, भूत जिनके गण हैं  और बैल जिनकी सवारी है| कर में त्रिशूल और डमरू धारण करते हैं| जिनके केश सघन जटाओं से हैं और जिन्होंने संसार की रक्षा के लिए असीम जल राशि को अपनी जटाओं में बाँध के रखा है और जिसकी एक धार जग के कल्याण के लिए और सृजन के लिए पृथ्वी पर छोड़ी है, वो जलधार  पवित्र पावन गंगा बन सहस्त्र प्राणियों के जीवन का आधार बन बहती है| और जिनके सर पर अर्धचंद्र मंद मंद मुस्कुराते हुवे अपने भाग्य पर इठला रहा है,  जो प्रभु  भोले हैं, त्रिपुरारी है, त्रिपुरांतकारी हैं, पृथ्वी में पापियों की और पाप की वृद्धि को रोकने के लिए क्रोधावस्था में तांडव करते हैं किन्तु भक्तों पर कृपा दृष्टि रखते हैं और उनका हर कष्ट हर लेते हैं ऐसे अविनाशी उमापति भोले शंकर को मेरा वन्दन
         
                                                       ओम् नमः शिवाय्

मेरी पूजा स्वीकार करो प्रभु

                         


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हे सर्वज्ञ
त्रिनेत्री
 हे श्रेष्ठ नर्तक नटराज!
तुम रूद्र भी हो
प्रलयंकारी हो तुम
शून्य से सम्पूर्ण ब्रह्मांड हो तुम
निराकार हो आकार हो तुम 
आदि हो तुम अनादि हो 
तुम शिव भी हो  
तू आनंद रूप  दिखा|
डमडम डमडम डमडमा
मधुर मधुर
डमरू   तू बजा|
 ज्ञान प्रेम साहित्य कला
कल्याण भरी विधा के,
सृष्टि में सृजन से
अनुपम पुष्प खिला| 
दुःख क्षोभ दरिद्रता व्याधि
प्रभु क्षण में तू मिटा|
न खोलो त्रिचक्षु को
प्रभु न रौद्र रूप   दिखा|
धरती आकाश कम्पित
डिगम डिगम डिगडिग डोले
विनाशी तांडव के
प्रभु न पद-थाप तू  बजा|
मोहिनी ध्यान मुद्रा में
प्रेम में ब्रह्मांड की
प्रभु  मोहनी रूप दिखा
मंद मंद  मुस्कुरा|  
पशुत्व भरी दुर्भावनाओं को
प्रभु जग से तू मिटा|
कुदृष्टि कामदेव सी
भस्मासुर नरों  की
दुष्ट भावनाओं को
प्रभु भस्म कर तू जला|

ज्यूं हो स्याह घन
जटामंडल
 वृत्त सघन
थामें विनाशकारी
अथाह जलपुंज|
समेटे उन्मादी
प्रबल प्रवाह प्रचंड |
छोड़ दी एक लट
जन-जन के कल्याण को
बहा दी पवित्र गंगा की
धरा में अमृतरसधार को|

हे जग रक्षक मृत्युंजय!
तुमने किया था हलाहल पान 
दिया था अभयदान
देव ऋषि नर मुनियों को|
प्रभु चरणों में तेरे करते हैं वंदन
पापों का जग से कर दे तू मर्द्दन|
 भवसागर के तारणहार!
मार्ग मोक्ष के प्रशस्त करो
हे जगपालनहार!
कल्याण जग का करो
कृपालु करुणावतार!
कृपा दृष्टि हम पर करो|
हे 
शरणान्गत भक्त वत्सल!
  हे दीनानाथ!

डॉ नूतन डिमरी गैरोला

ओम् नमः शिवाय
यह नृत्य खासकर टीवी सीरियल में जिस तरह इसे शिव के अंदर व्याप्त  अग्नि के साथ दिखाया गया है मुझे बहुत पसंद आया तांडव नृत्य का यह अंदाज
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डॉ नूतन डिमरी गैरोला