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Wednesday, January 26, 2011

आओ जश्ने आजादी मनाएं- एक व्यंग बाण - डॉ नूतन गैरोला २६-जनवरी २०११

          
                     सभी ने लिखी देश पर, वीरता पर, प्रेम पर गद्य या पद्य
                                            और वो बैठे कतराए
 
                    corruption
उन लोगो का क्या जो देश के लिए इतना जोखिम भरा काम कर रहे हैं | घूंस, चोरबाजारी, रिश्वतखोरी, साम्प्रदायिकवाद , दंगे, झूठ, धोखा- बोल लिख और करके देश के साथ गद्दारी करके खुद को निशाने की शूली में टांग देते हैं | बेचारे कोई उन पर दया भी नहीं करता | वो बेचारे तो नकारात्मक भूमिका निभाते हैं , कितना ख्याल रखते हैं  हमारा ताकि हमारी गुणवत्ता को लोग तुलनात्मक पहलू से  पहचान सकें | वो जमाखोरी करते हैं, महंगाई बढ़ाते है तो कोई खुद के लिए नहीं , हमारे लिए, हम जो लग्जरी में जीने के आदी हो चुके हैं, हमारे लिए पैगाम है उनका – भाई थोड़ी थोड़ी दूर के लिए कार या गाड़ी ही क्यों ? क्या भगवान के दिए हुवे दो पैर नहीं है चलने के लिए, न कोई पेट्रोल डीज़ल भरवाने का झमेला ना कोई धुंवा-पोल्युसन |  फिर रशोई में कौन कहता है कि दो दो प्याज डालो  और बनाओ सब्जी, प्याज हमारी कोई मूलभूत जरूरत तो नहीं- मत खाओ कुछ दिन प्याज तो जमा गोदाम में अनाज / प्याज सड़ने लगेगा वो बेचारे खुद कम कीमत पर हमारे लिए प्याज उपलब्ध करवा देंगे | ( हां जरा किसानो की सोचती हूँ तो डर लगता है - वो बेचारे दो धारी तलवार पर खड़े ) और फिर देखो न हिम्मत उनकी - उन्हें तो सजा ही मिलेगी , ना मिलेगा कोई तग्मा- पुरुस्कार – उनकी हौंसला  अफजाई के लिए भी कोई नहीं | हम लोग अच्छा काम भी डर डर के बच बच के करते हैं, अच्छे काम के लिए जल्दी से आगे आ कर स्वीकार नहीं करते और वो सजाओं की शूली पर लटकते हुवे भी, कितने बहादुर हैं, निर्भीक हैं, कैसे कैसे घपलों  को अंजाम देते है, बिना किसी सरकारी मदद के और सरकारी मदद मिले तो वो भी कोई बड़ा भारी घपला का अंजाम होगा - देनी पड़ेगी उनको दाद | कुछ तो नेताओं की सफ़ेद वर्दी में करते है बड़े बड़े ऐलान ...आहा क्या मज़ा आता है उनकी बड़ी बड़ी बातों में ..काश की वैसा होता जैसा उन्होंने कहा .. नहीं जी इधर ऐलान हुवा उधर पैसों का खिसकान / फिसलना शुरू हुवा उनकी तरफ | उन्हें तो जनता जनार्दन का भी डर नहीं, कितने बहादुर हैं ये, क्यों नहीं वो बड़े बड़े घपलों के लिए बड़े बड़े एवार्ड घोषित करते है, एवार्ड भी मिलेगा और एवार्ड के बिकने पर पैसा भी, और एवार्ड की फेरहिस्त में हेरा फेरी करने पर भी आमदनी  ..एवार्ड का नाम क्या होगा तब - श्री उपद्रवी, घपलाबाज नंबर -१ एवार्ड ,श्री श्री रिश्वतखोर कामचोर भारत श्री एवार्ड, बिना डकारे भूसा खाए शेर एवार्ड, आदी आदी – कुछ नाम में मदद आप लोग भी कीजियेगा| हां श्री शब्द का गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए इसका भी ख्याल रखूंगी  | और तिस पर जो पैसा आएगा वो भारत के किसी भी काम का नहीं क्यूंकि भ्रष्टाचारी जी उसे स्विस बैंक में पहुंचा देगा| देश में पैसा कम तो लोग निर्माण, खरीद फरोख्त कम करेंगे, कुछ लोग भूखे रहना सीख लेंगे और जब पैसों का लेन देन कम होगा तो घूंसखोरी कम होगी ..तो अप्रत्यक्ष रूप में ये भ्रष्टाचारी  देश के लिए काम कर रहे है.. संविधान बना, लेकिन विधानों से बचने बचाने के उपाय तो ये खूब जानते हैं बस जरा जेब गरम .. और जहाँ ना लागू हो वहाँ जोरजबर्दस्ती लागू करवाया जाता है ताकि आप बचने के लिए टूट जाएँ और आप घूंस देने जैसा बड़ा अपराध करें और बड़ा नाम कमाएँ ... जय हो इन भ्रष्टाचारी भाई बहनों की



आओ आओ जश्ने आजादी मनाएं
आओ आओ फिर कुछ नया गुल खिलाएं
संविधान बना क़ानून बने
क़ानून के नाम पर कुछ अतिरिक्त कमाएँ |
 
आओ आओ जश्न ऐ आजादी मनाएं
आओ आओ फिर एक नया गुल खिलाएं |
 
फूल होंगे बीमारी के भ्रष्टाचार के
राजनीति में पैंठे रिश्वतखोर चोरचकार के
जय जयकार करते घुंसखोर चमचे
अपराधी कातिल अपहरणकरता धूर्त आचार के |
आओ आओ फिर नवनिर्माण करवाएं
कुछ नयी भवन सड़के पुल बनवाएं
उद्घाटन तक न जो टिके कुछ इस कदर कमाएँ |
 
आओ आओ जश्ने आजादी मनाएं
आओ आओ फिर कुछ नया गुल खिलाएं |
 
आओ आओ सट्टेबाजी में धन लगाएं
एक नहीं अनेकों स्विस बैंक में खाते खुलवाएं |
किसी के पास झोपडी नहीं तो क्या, झूठे ऐलान कर तो  दो 
बहते पैसों से खुद के घर भरवाएं
अपने देश दुनियाँ में फ्लेटों की संख्या बढाएं
महंगाई, चोरबाजारी, जमाखोरी की दुकानें खुलवाएं
 
आओ आओ जश्ने आजादी मनाएं
आओ आओ फिर कुछ नया गुल खिलाएं
 
आओ आओ हर रोज कुछ नए क़ानून बनाए|
भोली भाली जनता अकबक, कल तक मार्ग यही था
आज वन वे कैसे हुवा
खौफ क़ानून का पुलिस का उन पर हो
जो भोली है, निश्छल जनता है
आओ कानून का डंडा उनके सर पर जोर से घुमाएँ
चलती गाड़ियों को रुकवाएं
कोने ले जा कर अपनी जेबें गरम करवाएं |
 
आओ आओ जश्ने आजादी मनाएं
आओ आओ फिर कुछ नया गुल खिलाएं
संविधान बना क़ानून बने
क़ानून के नाम पर कुछ अतिरिक्त कमाएँ |
अपनी भारत माता का नाक कटवाएं |
 

मेरे वचन कडुवे बहुत लग रहे होंगे क्यूंकि मै कडुवी  हकीकत के खिलाफ कडुवे तरीके से बोल रही हूँ | किन्तु मेरी भावनाएं साफ़ हैं | मैं  समाज में निहित भ्रष्टाचार के खिलाफ हूँ ( आप भी होंगे पूरा यकीन है ) और आज गणतंत्र दिवस पर चाहती हूँ कि सभी लोग इसके खिलाफ हो जाएँ |
                                                   न घूस लें न दें | संकल्प लें |
 
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क्या ये सब पढ़ कर भी इन भ्रष्टाचारियों की आँखे नहीं खुलेंगी | क्या हमारा प्यारा भारत देश, इन बीमार, लचर, भ्रष्टतंत्र से मुक्त हो कर, सही मायनों  में आजादी की खुली साँस ले सकेगा | क्या हम सब एक जुट हो कर इसके खिलाफ आवाज नहीं उठा सकते | मेरा सरोकार किसी आन्दोलन से नहीं बल्कि  अपने कर्तव्यों का पालन से है हम जहाँ भी कार्य करते हैं अपने कर्तव्यों का पालन इमान् और निष्ठापूर्वक कर  अपने देश को गौरवान्वित कर प्रगतिशील बना सकते हैं |

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दो    जोक – अभी अभी बनाएं
मम्मी – राज बेटा ! लड़की वालों को देखने जा रहे हैं | खूब पैसे वाले हैं | जरा हमारी अच्छी छाप बन जाये | ढंग से तैयार होना |
राज – जी मम्मी! मैं तैयार हो गया हूँ पूरी तरह से | चलिये
मम्मी – अरे रुक , तुने प्याज वाला इत्र तो डाला ही नहीं |
 
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ग्राम प्रधान ( नेता जी से ) – साहेब पिछली गरीबी उन्मूलन के लिए जो पैसे आये थे, आपने पूरे डकार लिए थे| अब मनमोहन जी गाँव भ्रमण में आ रहे है | क्या करूं?
नेता जी – ये लो ये एक शीशी  ,मैंने ये प्याज के इत्र अपने भण्डार में जमा किये हुवे हैं, ठीक समय पे इस एक शीशी से  तुम  गाँववासियों पर एक एक पफ्फ़ छिडक देना|
                                              डॉ नूतन गैरोला - २६ जनवरी २०११
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और अंत में अपनी
प्यारी भारत माता की जय
                   जय हिंद - सभी का गणतंत्र दिवस अच्छा रहा होगा | इस उम्मीद के साथ
 
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       लहर लहर ओ
भारतीय राष्ट्र पताका
तू आज गगन को छू ले |
( ये पंक्तियाँ स्कूल के दिनों में गाये देश भक्ति के गीतों में से हैं जो मुझे पसंद था |)
 
 
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