Followers

Monday, November 15, 2010

दीपावली और धुंवा


फोटोग्राफी  - डॉ नूतन गैरोला


अकेला  मैं 
एकटक
निहारता ,
दूर
ये क्षितिज
रात की शांति
तोडती
तड़ित ||
तीव्र ऊष्मा विस्फोट, और  हूँ मैं विचलित,
ये धुवां जो घेर रहा है
रात के सन्नाटे को
सहस्त्र निनादो के संग
चीर रहा है ||
धीरे धीरे मौन,
ये असंख्य
सासों में घुस जायेगा
और अपना व्याधि साम्राज्यवहीं बसायेगा |
रहो होशियार, 
सुन लो 
तुम इसकी चीख पुकार
न करो तांडव
बम, बारूद, 
हथगोलो का
बहने दो स्वच्छ शीतल बयार.
खुश्बू सुगन्धित 
झोंकों का,
न करंज कराल गर्जन हो.
गीत हो मृदुल 
संगीत लहरियां का
मन में धीमे बज उठते हो, ज्यूं सप्तक वीणा सितार...
न कम्पित होती हो 
धरा औ दिल-
न लौ दीये की ,
निश्छल मन हो 
स्वस्थ तन हो 
और
लौ 
हो सतत प्रकाशमान, 
 मन बन दीया, तन रुपी मंदिर का  ||


नूतन - यूं ही चलते चलते

दीपावली की रात को मैंने खींची थी कुछ तस्वीरें जिसमे ये भी एक है -- एकाकी निहारता मानस आसमान 




एक सुन्दर चित्र सन्देश

Orkut Scraps Diwali Greetings