“मुझे मिली परी” तलबल पानी के कोटर में / अन्धकार के गोले में / कुछ धमनियों का शोर था / सिकुड़ी सिमटी /सकुचाई अधखिली / मैं खिलने को, खुलने को बेताब थी / रौशनी के पुंज संग /वो परी आई / उठा लिया उसने / लगा लिया वक्ष से / आँचल तले छुपा के / कुदृष्टि से बचा के / अमृतपान दिया मुझको / कंपकंपाते लड़खड़ाते क़दमों को गिर गिर के भी उठना, उठ कर चलना आगे बढना सिखाया मुझको / जिंदगी की दौड को नैतिकता से जीतूं ऐसा सत्मार्ग दिखाया मुझको / जीवन के सौपानों में चढ़ लक्ष्यभेद सिखाया मुझको / मेरे लिए दुवा में उठे हाथ उनके कभी झुकते ना थे / थके ना कभी थे संवारने में मुझको | मेरी चुप्पी को मेरे मन की अनकही बातों को बिना बोले जो समझती थी, वो तुम्हारी दो नीली हरी झील सी आँखें थीं | तुम मेरे जीवन की सबसे सुन्दर परी हो जिसकी गोद में लोरियों के मीठे सुरों के संग सोयी हूँ..जिसने अपनी आखिरी सांसों तक मुझे बेशुमार प्यार किया .. तुम मेरे जीवन की पहली परी - तुम मेरी माँ हो | और तुम एक दिन उड़ गयीं | उस टिमटिम तारे के पास जहाँ से परियाँ उतरती हैं क्यूंकि तुम्हारे लिए वापस आने का हुक्म था | तुम रुकना चाहतीं थीं और तुमने हिम्मत भी न हारी, पर समय इतना ही दिया था विधाता ने हमारे साथ के लिए किन्तु जाने से पहले तुम् सुनिश्चित कर गयीं, मुझको हर खुशी दे कर गयीं ..मेरी गोद में इक नन्ही परी थी- जिसकी चाहत थी मुझको | इक सुन्दर, प्यारी, तितली सी उड़ती - कूदती, रंग भरती प्यार करती- इक परी की और वो परी मुझे मिल गयी| कभी मेरी गोद में बैठती, कभी काँधे पे कभी फुर्र उड़ती सी आँगन में उछलती , कभी दौड़ कर आती प्यार करती, कभी स्नेह से बालों को सहलाती, छोटी हो तुम पर सीख सिखाती , खाली वक़्त में मुझ संग मधुर गीत गुनगुनाती, मै उदास हो जाऊं तो गुदगुदाती मुझे हंसाती, घर में सबका ख्याल करती, जिस पर मुझको नाज़ है --- तुम मेरी बेटी हो .. अपने प्यार और नटखट भरी हरकतों से घर को रंग दिया है तुमने – मेरी माँ का आशीर्वाद हो तुम – उस परी की गोद से उतरी थी मै – और मेरी गोद में एक परी थी ..
ठुमक ठुमक के आती थी तुम छम छम नाच दिखाती थी तुम किलकिलकिल किलकारियों के संग मन को मेरे गुद्गुदाती थी तुम चंचल सी तुम मासूम बहुत हो मन को बहुत लुभाती हो तुम कोमल हाथो से हाथ तुम थामती प्रेम हिलोरे जगाती हो तुम | मेरे आँगन की चिड़िया हो तुम चहक चहक इक रौनक हो तुम प्रेम बरसात की बदली हो तुम बसंत बयार सम बहती हो तुम | मेरे भाल पर टीका सम्मान हो तुम मेरे जीवन की शान हो तुम | जग में मेरी पहचान हो तुम तुम मेरी बेटी, मेरा नाम हो तुम तुम मेरी परी, मेरी जान हो तुम | आज जन्मदिन पर शुभकामनाएं कि दुनियां - जहाँ की सारी खुशियाँ मिले, तुम सदा खुश रहो , दीर्घायु और स्वस्थ रहो, सदा नेक कर्म करो, सबका का सम्मान करो | यूं ही हंसती गाती मुस्कुराती रहो | खुश रहो और खुशियों का पर्याय बनो - चिरंजीव भव | प्रिय बेटी को जन्मदिन पर शुभकामनाएं
सुन्दर स्वास्थ औ मन का हो तुझ संग डेरा
कामयाबी के शिखर पे हो तेरा बसेरा दुवा है प्यार हो अपनों का, लंबी उम्र खुशहाल घर और कामयाब सपनों का !! द्वारा- मम्मी - डॉ नूतन गैरोला |