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Tuesday, January 11, 2011

मुझे मिली परी- डॉ नूतन गैरोला- १२ जनवरी२०११

                     
                                               मुझे मिली परी”            
 
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तलबल पानी के कोटर में / अन्धकार के गोले में / कुछ धमनियों का शोर था / सिकुड़ी सिमटी /सकुचाई अधखिली / मैं खिलने को, खुलने को बेताब थी / रौशनी के पुंज संग /वो परी आई / उठा लिया उसने / लगा लिया वक्ष से / आँचल तले छुपा के / कुदृष्टि से बचा के / अमृतपान दिया मुझको / कंपकंपाते लड़खड़ाते क़दमों को गिर गिर के भी उठना, उठ कर चलना आगे बढना सिखाया मुझको / जिंदगी की दौड को नैतिकता से जीतूं ऐसा सत्मार्ग  दिखाया मुझको / जीवन के सौपानों में चढ़ लक्ष्यभेद सिखाया मुझको / मेरे लिए दुवा में उठे हाथ उनके कभी झुकते ना थे / थके ना कभी थे संवारने में मुझको | मेरी चुप्पी को मेरे मन की अनकही बातों को बिना बोले जो समझती थी, वो तुम्हारी दो नीली हरी झील सी आँखें थीं | तुम मेरे जीवन की सबसे सुन्दर परी हो जिसकी गोद में लोरियों  के  मीठे सुरों के संग सोयी हूँ..जिसने अपनी आखिरी सांसों तक मुझे बेशुमार प्यार किया .. तुम मेरे जीवन की पहली परी - तुम मेरी माँ हो |
 
                       
 
और तुम एक दिन उड़ गयीं | उस टिमटिम तारे के पास जहाँ से परियाँ उतरती हैं क्यूंकि तुम्हारे लिए वापस आने का हुक्म था | तुम रुकना चाहतीं थीं और तुमने हिम्मत भी न हारी, पर समय इतना ही दिया था विधाता ने हमारे साथ के लिए किन्तु जाने से पहले तुम् सुनिश्चित कर गयीं, मुझको हर खुशी दे कर गयीं ..मेरी गोद में इक नन्ही परी थी-
 
जिसकी चाहत थी मुझको | इक सुन्दर, प्यारी, तितली सी  उड़ती - कूदती, रंग भरती प्यार करती- इक परी की और वो परी मुझे मिल गयी| कभी मेरी गोद में बैठती, कभी काँधे पे कभी फुर्र उड़ती सी आँगन में उछलती , कभी दौड़ कर आती प्यार करती, कभी स्नेह से बालों को सहलाती, छोटी हो तुम पर सीख सिखाती , खाली वक़्त में मुझ संग मधुर गीत गुनगुनाती, मै उदास हो जाऊं तो गुदगुदाती मुझे हंसाती, घर में सबका ख्याल करती, जिस पर मुझको नाज़ है ---
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तुम मेरी बेटी हो .. अपने प्यार और नटखट भरी हरकतों से घर को रंग दिया है तुमने – मेरी माँ का आशीर्वाद हो तुम – उस परी की गोद से उतरी थी मै – और मेरी गोद में एक परी थी ..
 
ठुमक ठुमक के आती थी तुम
छम छम नाच दिखाती थी तुम
किलकिलकिल किलकारियों के संग
मन को मेरे गुद्गुदाती थी तुम
 
चंचल सी तुम मासूम बहुत हो
मन को बहुत लुभाती हो तुम
कोमल हाथो से हाथ तुम थामती
प्रेम हिलोरे जगाती हो तुम |
 
मेरे आँगन की चिड़िया हो तुम
चहक चहक इक रौनक हो तुम
प्रेम बरसात की बदली हो तुम
बसंत बयार सम बहती हो तुम |
 
मेरे भाल पर टीका सम्मान हो तुम
मेरे जीवन की शान हो तुम |
जग में मेरी पहचान हो तुम
तुम मेरी बेटी, मेरा नाम हो तुम
तुम मेरी परी, मेरी जान हो तुम |
          
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आज जन्मदिन पर शुभकामनाएं कि  दुनियां - जहाँ  की सारी खुशियाँ मिले, तुम सदा खुश रहो , दीर्घायु और स्वस्थ रहो, सदा नेक कर्म करो, सबका का सम्मान करो | यूं ही हंसती गाती मुस्कुराती रहो | खुश रहो और खुशियों का पर्याय बनो - चिरंजीव भव |          
 
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                                   प्रिय बेटी को जन्मदिन पर शुभकामनाएं

                                              सुन्दर स्वास्थ औ मन का हो तुझ संग  डेरा
कामयाबी के शिखर पे हो तेरा बसेरा 
दुवा है प्यार हो अपनों का, लंबी उम्र
  खुशहाल घर और कामयाब सपनों का !!
                    
                                        द्वारा- मम्मी - डॉ नूतन गैरोला
              प्यारी बेटी सौम्या के विद्यालय के वार्षिकोत्सव की एक विडियो |

   






       सौम्या का पसंदीदा टी वी सीरियल – “कितनी मोहब्बतें “ उसका गीत गाती हुवी





बाद में जोड़ा

मैंने यही पोस्ट  सुबह प्रकाशित की थी किन्तु एडिट करते समय वह मिट गयी और दुबारा वापस नहीं आई अतः उस वक़्त जो कमेन्ट मित्रों ने बेटी को आशीर्वाद स्वरुप दिए थे उनकी कॉपी में यहाँ पर पेस्ट कर रही हूँ ..आप अन्यथा नहीं लेंगे


        bday-1
                         

                          निर्मला जी
                          रोशी जी
                          जोगेंदर भैया

                          आप का तहे दिल शुक्रिया !!


bday 2
  
सदा जी
रश्मि प्रभा जी
कैलाश जी
शास्त्री जी
तहेदिल शुक्रिया ! सादर अभिनन्दन

bday3

अनीता जी
प्रवीन जी
प्रतिबिम्ब जी
सादर शुक्रिया | स्नेहभरा अभिनन्दन







Sunday, January 9, 2011

अपना हाथ जगन्नाथ - डॉ नूतन गैरोला

                                 
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                फूल भी लुभाता है और तितलियों के रंगीन पंख देख बच्चे उसके पीछे दौड़ते उछलते है | सभी के अंदर एक नैसर्गिक चाहत होती है  खूबसूरती की - खूबसूरत होने की लेकिन ये सुंदरता तभी बनी रहती  है या तभी लुभाती  जब एक स्वस्थ शरीर हो, स्वस्थ मन हो |
                                 मैं प्रार्थना करुँगी कि हम सब का स्वास्थ उत्तम हो और ताकत से भरपूर हमारे हाथ हो, सोच में भलाई हो - ताकि हम अपने लिए स्वस्थ, सुखी, सुरक्षित,  समाज का सृजन कर सकें |
  
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गोवर्धन था
जिनकी कनिष्ठ ऊँगली पर
वो तो भवसागर का तारनहार 
श्री कृष्ण था 
छत्रछाया में उनकी 
 दुनियां-जन जन नतमस्तक था   ,
पर मेरे
ये दो हाथ
जिसमे समायी थी दुनियां मेरी
जो देते थे सहारा
हजारों हाथों को बढ़ बढ़ कर,
आज जब चाहा सहारा मैंने तो
वो हजार हाथ भीड़ में
खो गए
और दूसरे हजारों को सहारा देते
और मैं ?
अपनी मौन आहों को
खुद के भीतर समेटे
मुस्कुराती रही अपने गम पर
इस अकेले कमरे में
और साथ हैं हाथ मेरे
किये मेरा मस्तक ऊँचा गर्वित
नाज है आखिर
ये दो बेहतरीन हाथ तो मेरे हैं
नतमस्तक  तेरी इस सौगात पर
बनाये रखना, ताकत भरना
इन हाथों में   
हे जगदीश्वर!
जग के नाथ
क्यूंकि
होता  भी हैं ना
अपना हाथ जगन्नाथ |
 
 
डॉ नूतन गैरोला  ०८-०१-२०११