बातें बेहिसाब बातें हलचल मचा देतीं हैं नटखट मछलियों सी मन के शांत समंदर में जबकि भीतर गुनगुनाती है, गाती हैं शांत लहरें और शांति की समृद्धि से तर खुशियाँ भरपूर रहती है मेरे शब्द रहते हैं मौन बेसुध मैं अनंत शांत यात्रा में होती हैं मौन बाते खुद के मन से लेकिन जब मन रहता है मौन और शब्द बिन आवाज बोलने लगते हैं कुछ दिमाग अनजान जो खामोश रहस्यों से छिड़ जाता है एक संग्राम उनके कटु शब्दों का मेरे मौन से … तब बलिदानी होता है मौन | और शब्दों को स्याही का आवाज का अम्लिजामा देता है उन अस्थिर अशांत मन में करता है शांति का पुनर्वास और अपने शांत मन का चैन खो उनको चैन देता है |… डॉ नूतन गैरोला लिखी गयी – ११ / ११ /११ ११:११ …बहुत आश्चर्य हुआ जब लिख कर फेसबुक में पोस्ट कर रही थी कम्प्युटर ११:११ am 11-11-11 तारीख दिखा रहा था … याद आती रहेगी ये तारीख ….. हां कविता लिखते समय अन्ना जी के मौन व्रत की याद आई … लेकिन वह अलग था .. |
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Friday, November 11, 2011
मौन बातें - डॉ नूतन गैरोला
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