Followers

Tuesday, September 21, 2010

खुद से खुद की बातें .. Dr Nutan Gairola

                                          खुद से खुद की बातें
                               मेरे  जिस्म  में जिन्नों का डेरा है |
कभी ईर्ष्या उफनती,
कभी लोभ, क्षोभ
कभी मद - मोह,
लहरों से उठते
और फिर गिर जाते || 

पर न हारी हूँ कभी |
सर्वथा जीत रही मेरी,
क्योंकि रोशन दिया
रहा संग मन  मेरे,
मेरी रूह में ,
ईश्वर का बसेरा है ||

स्वरचित - द्वारा - डॉ नूतन गैरोला  11-09-2010  17:32

33 comments:

रचना दीक्षित said...

काश सबके दिल में इश्वर का बसेरा हो जाए आप ही की तरह

मनोज कुमार said...

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। कहा भी गया है "मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।" बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!

देसिल बयना-गयी बात बहू के हाथ, करण समस्तीपुरी की लेखनी से, “मनोज” पर, पढिए!

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

रचना जी.. !! आपका धन्यवाद - और आप, हम, हम सबके मन में ईश्वर का वाश है.. बस ईश्वर तत्व की जीत हो..

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

संगीता जी !! आप देवी स्वरुप लगती है.. मजाक नहीं कर रही... आपका आभार आप यहाँ आयीं ... आपका धन्यवाद ..

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

मनोज जी !! आपका शुक्रिया - आपने जो उदाहरण दोहे के साथ दिया - बहुत सुन्दर |

वन्दना said...

बहुत बहुत बहुत ही खूबसूरत और सार्थक अभिव्यक्ति।

सदा said...

क्‍या बात है, आपने तो रूह में ईश्‍वर के होने की बात जब से कही तब से सारे जिन्‍न सकते में आ गये हैं, सार्थक एवं भावमय प्रस्‍तुति, आभार ।

ZEAL said...

जिसके मन में इश्वर का वास है, वहां जिन्न ज्यादा समय ठहर नहीं सकता... बहुत सुंदर कविता....आभार ।

हास्यफुहार said...

बहुत अच्छी कविता।।

संजय भास्कर said...

अतिसुन्दर भावाव्यक्ति , बधाई के पात्र है

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

क्योंकि रोशन दिया
रहा संग मन मेरे,
मेरी रूह में,
ईश्वर का बसेरा है !
बहुत लाजबाब !

Kailash C Sharma said...

ईश्वर में विश्वास की एक सशक्त अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर ...

budh.aaah said...

Very sweet especially the last line..

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

वंदना जी ! सादर धन्यवाद..

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

सादा जी.. बहुत सुन्दर कहा.. :) कि सारे जिन्न सकते में आ गए.. आपका सहृदय धन्यवाद !!

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

डॉ दिव्या .. आपने सही कहा.. शुभसंध्या

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

हास्य फुहार जी सादर धन्यवाद !!आपके ब्लॉग का अपना ही लुत्फ़ है हसने हँसाने का .. :))

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

धन्यवाद संजय भाष्कर जी.. आपके लिए शुभकामनाएं

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

गोदियाल जी !! तहे-दिल शुक्रिया..

malkhan singh said...

मेरे ब्लॉग पर कमेन्ट करने के लिए धन्यवाद. आपने भी बहुत शानदार likha hai. एक डॉक्टर ऐसा लिखे, विश्वास करना आसान नहीं है. क्योंकि उनके पास एक तो टाइम कम होता है और दूसरा दुनिया भर की टेंशन..
मेरा एक nya ब्लॉग भी है.. jara gaur फरमाएं..

http://www.tikhatadka.blogspot.com/

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

कैलाश जी !! धन्यवाद.. शुभकामनाये

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

sryy it's Budh.aah ji-- regard

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

Thanks BUdh.aah.. regard

budh.aaah said...

Hi Nutanji,
please read a ghazal I've written today on'we even cry the same way' my regular blog.

Babli said...

आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

हरि जोशी said...

भावपूर्ण। जय हो आपकी। आनंद आ गया।

डा. अरुणा कपूर. said...

आपकी उच्च विचारसरणी का मै स्वागत करती हूं!....उत्तम रचना....बधाई एवं धन्यवाद डॉ.नूतन!

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

Hari ji.. Dhanyvaad ..Jay ho..

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

Babli ji !! aapka shukriya aur Shubhkaamnye.

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

Dr Aruna Ji !! shukriyaa, aapka aur aapke protsahan kaa aur saath ke liye aapka abhaar..shubhraatri

boletobindas said...

अच्छी कविता। पर लगा जैसे कुछ विस्तार मांग रही थी कविता। औऱ शब्द कहीं रोक से लिए आपने। ये बात सही है कि अंदर का जिन्न दैविय ताकत को रोकने की पूरी कोशिश करता है। इंसान भी अक्सर जिन्न का साथ देता है। कई बार मजबूरी में तो कई बार जानबूझ कर।

Udan Tashtari said...

वाह!! आनन्द आ गया..उम्दा रचना!

संजय भास्कर said...

वाह पहली बार पढ़ा आपको बहुत अच्छा लगा.
आप बहुत अच्छा लिखती हैं और गहरा भी.
बधाई.

कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
http://sanjaybhaskar.blogspot.com