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Tuesday, September 7, 2010

कृष्ण तुम हो कहाँ ?............ डॉ. नूतन "अमृता "



कृष्ण तुम हो कहाँ ?

तुम कौन ?
तुम कौन जो धीमे सा एक गीत सुना देते  हो  ,
मन के अन्दर एक रोशन  करता दीप जला देते  हो
बंद कर ली मैंने सुननी कानों से आवाजें ,
जब से सुन ली मैंने अपने दिल की ही आवाजें |


तुम भूखे बच्चो के मुंह से निकली क्रंदन वेदना सी,
तुम जर्जर होते अपेक्षित माँ बापू के विस्मय सी
तुम पेट की भूख की खातिर दौड़ते बेरोजगार युवा सी,
तुम खुद को स्थापित करती एक नारी की कोशिश सी,
तुम आतंकियों की भेदी लाशो की निरीह आत्मा सी ...



तुम हो दर्द चहुँ दिशा फैला,
क्यों मन मेरे प्रज्वलित हुवा है,
धधका जाता है मेरे मन में फैला हुवा इक भय सा,
मैंने बंद कर ली है कानो से सुननी वो आवाजें
आत्म चिंतन - मंथन पीड़ा की,
दूर करे जो इस जग से मेरे
वो अवतरित हुवा इस युग का कृष्ण,
तुम हो या तुम हो या -

तुम में कौन ? ...........By Dr Nutan




कृष्ण जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर कृष्ण को पुकार..
आज इस युग में हमें कृष्ण की बहुत जरुरत है समाज में छाई बुराइयों का अंत करने के लिए .. और वो कृष्ण हम में भी विद्वमान है .. जरूरत है अपने अन्दर झाँकने की ..और अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने की .. बुराइयों को पराजित करने की और हिम्मत सच का साथ देने की ॥ ... डॉ. नूतन "अमृता " 


by Dr Nutan .. 20:41 ..01 - 09 - 2010

8 comments:

राणा प्रताप सिंह (Rana Pratap Singh) said...

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ |

ब्रह्माण्ड

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

धन्यवाद राणा जी...

वन्दना said...

बेहद खूबसूरत प्रस्तुति-------अगर इंसान आत्मविश्लेषण कर ले तो जीने का सबब सीख ले।

अरविन्द said...

सत्य कहा है. सारे अवतार् हमारे भीतर ही हैं। बस देर है महसूस करने की...अच्छी पंक्तियाँ हैं।

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

Arvind ji Dhanyvaad..

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

vandanaa ji.. shubhsandhya .. aapne sahi kaha aatmvishleshan ki jaroorat hai..

काजल कुमार Kajal Kumar said...

नुतन जी, इस बैकग्राउंड में कुछ पढ़ पाना बड़ा मुश्किल है

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

ji jaroor... kajal ji.dhyaan rakungi.. color combination kaa..