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Saturday, October 16, 2010

पुनरावर्ती - Dr Nutan gairola


जीती रही, जन्म  जन्म  पुनश्च
मरती रही, मर मर जीती रही पुनः
चलता रहा सृष्टिक्रम
अंतविहीन  पुनरावृत्ति  क्रमशः ~~~

डॉ नूतन गैरोला / १६ - १० - २०१० २०:१२

7 comments:

संजय भास्कर said...

जय माँ दुर्गा जी की!
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

संजय भास्कर said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोsस्तु ते॥
महानवमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!

चिठियाना-टिपियाना संवाद

M VERMA said...

सृष्टिक्रम तो चलता ही रहता है.

अनुपमा पाठक said...

is kram ka ant nahi!
sundar shabdon mein ek akatya satya prastut karne hetu aabhar!
regards,

Kailash C Sharma said...

श्रष्टि में क्या स्थिर है? पुनरावृति तो एक प्रकृति का नियम है..सुन्दर भावाभिव्यक्ति ....

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

sabhi ko dhanyvaad... shubhdiwas...