आज के दिन
                                                       ( सोलह जून २०११ )
  
 आज के दिन न मुझसे पूछो तुम 
 कितने अंधेरों ने बढ़ कर 
 मेरे दिन को सियह रातों में बदल दिया है| 
 मेरी खुशियों में पसर गए हैं कितने 
 दुःख भरे आंसू के बादल…….
 आज के दिन छा रहे 
 घोर मायूसियों के सायों ने- 
 सितम के कितने नस्तरों से 
 मुस्कुराहटों का हक बींध लिया है|
 आज के दिन पूर्णिमा को 
 ग्रहण के अंधेरों ने 
 बिन अपराध निगल लिया है|
 हो कितना भी घना अँधेरा 
  न हो निराश, वादा है 
 मिटा कर इन अंधेरों को,
 चमकुंगा मैं फिर फलक पर 
 और मिल जाऊंगा धरा से 
 पाकिजा चांदनी बन कर |
  
       
 
  
                 आज की रात जब शुरू हुवी थी, पहाड़ पर चाँद यूं चढ़ने लगा| कल रात का ग्रहण भुला कर और चांदनी बिखेरता हुवा| दिन भर की धुप से झुलसा हुआ जंगल, शीतल चांदनी में नहा कर मुस्कुराने लगा, लहराना लगा |
   
         
 
 
24 comments:
good morning.
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...सभी फोटो बहुत सुन्दर..आभार
एक दुखी की बेचैनी और चांद का आश्वासन वाबत कविता। पुराने समय में विश्वास था कि राहू और केतु नामक दो ग्रह जो राक्षस था अमर होना चाहता था उसे दो भागों में राहू और केतु में विभक्त कर दिया गया था । कथा सत्य हो या न हो किन्तु आज अनेक ऐेसे राहू केतु बेधडक घूम रहे है और अनेक चांद भयभीत अपनी चांदनी को समेटे छुपे बैठे है। ग्रहण के चित्र देखे गृहण भी देखा था।
आपकी यह उत्कृष्ट चित्रो से सजी प्रविष्टी कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी है!
सुन्दर चित्र।
चित्रों के साथ कविता भी बहुत सुन्दर ..
सुंदर हैं सभी चित्र....बहुत बढ़िया
Beautiful Pictures.....
बहुत खूब। कविता, फोटो और जानकारी की इस त्रिवेणी में नहलाने का शुक्रिया।
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ब्लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
2 दिन में अखबारों में 3 पोस्टें...
कविता, फोटा और जानकारी की त्रिवेणी में नहलाने का शुक्रिया।
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ब्लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
2 दिन में अखबारों में 3 पोस्टें...
आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
कुछ चुने हुए खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .
सुंदर छायांकन किया है,
आभार
bahut hi khoobsurati andaaj mein aapne aasman ko jami par utaar diya ....aabhar
चाँद पर लगा ग्रहण इतना खूबसूरत है कि 'शनि' 'राहु' 'केतु' भी लज्जित हो जायें.. :)
बहुत सुन्दर चित्र! कमाल का फोटोग्राफेर हैं आप और मेरा मानना ये है कि आपको नेशनल जोग्राफी चैनेल पर ये शानदार तस्वीरें देनी चाहिए! जितनी ख़ूबसूरत और शानदार चित्र उतनी ही सुन्दर कविता! आपकी लेखनी को और फोटोग्राफी के लिए सलाम!
तस्वीरें जितनी उत्कृष्ट हैं कविता भी उतनी ही सार्थक और सराहनीय है |बहुत बहुत बधाई डॉ० नूतन जी |
कविता में चित्र दिखाई दे रहे हैं और चित्रों में कविता।
काले चांद को भी आपने कैमरे में कैद कर लिया...अद्भुत।
Rare pics !
Great presentation !
बहुत मोहक तस्वीरें और अंधेरों में आशा जगाती यह कविता भी बेजोड़ ! हार्दिक बधाई नूतन जी ।
निगले जाते और मुक्त होते चाँद के उत्कृष्ट चित्र और सुंदर रचना.
इस बार कविता से ज्यादा तारीफ आप की फोटोग्राफी की करनी होगी| ऐसे फोटो लेना वाक़ई आसान नहीं है|
डॉ. नूतन जी,
१५ से १६ जून का सफर चाँद और आपकी कविता .....वाह क्या बात है।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
अति सुन्दर चित्रों के साथ आपकी भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत
आभार.आपने मेरे ब्लॉग पर आकर मेरा उत्साह वर्धन किया, इसके लिए भी आभार.मैं भी यूरोप के टूर पर गया हुआ था,कल ही लौटा हूँ.आपके ब्लॉग पर देरी से आने के लिए क्षमा चाहता हूँ.आपके चित्रों ओर कविता से मन प्रसन्न हो गया.विलक्षण 'नूतनता' का अनुभव हुआ.
कविता और चित्र दोनों बहुत अच्छे लगे..
तस्वीरें कमाल की ली हैं आपने
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