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Wednesday, September 21, 2011

एक दर्द -हाईकु - डॉ नूतन गैरोला–१)



जाना था हीरा,
बेपरखा भरोसा
मिट्टी निकला|


Diamond






तुम बिन है,
संग मेरे विराना,
अकेली नहीं|

lonliness      





अपने थे जो
तोड़ गए दिल को
अपने हैं वो|

Broken-Heart-48







खामोशी बोली
मुझसे बातें करो
चुप्पी ना भली|

lo2






बाद उसके
जाने के जाना था कि
थी वो बहार |

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डॉ नूतन गैरोला

तस्वीरें -नेट से
आभार उनका जिनकी ये तस्वीरें  हैं|
अखिरी पेंटिंग - चित्रकार ग्रेग चेडविक , केलिफोर्निया 


17 comments:

सदा said...

बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

रश्मि प्रभा... said...

खामोशी बोली मुझसे बातें करो....चुप ना भली, बहुत खूब

वन्दना said...

सुन्दर हाइकू।

Rakesh Kumar said...

खामोशी बोली
मुझसे बातें करो
चुप्पी न भली

कमाल के हाइकू लगे आपके.
दर्द की सुन्दर अभिव्यक्ति

अपने थे जो
तोड़ गए दिल को
अपने है वो.

सच में अमृतरस का पान किया,नूतन जी.

मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है.
आपकी टिपण्णी में भी 'अमृत रस'होता है.
मन तृप्त हो जाता है.

अनुपमा पाठक said...

सुन्दर!

सहज साहित्य said...

प्रिय बहिन नूतन जी आपके सभी हाइकु बहुत कसे हुए , दिल को छूने वाले ही नहीं भिगोने वले भी हैं कोई भी काव्य -रचना , अनुभूति पर निर्भर होती है. अपकी संवेदना में पहले ही अमृत रस मिला हुआ है फिर हाइकु उससे बाहर कैसे जायेगा? आपका हर हाइकु अपने में पूर्ण और अर्थ की छटा समेटे हुए है. इस कठिन अभिव्यक्ति को आपने अपनी शब्द -साधना से जीवन्त कर दिया है. बार -बार पढ़ने पर भी मन नहीं भरता.
ये हाइकु तो सचमुच अमृतमय हैं-
तुम बिन,
संग मेरे विराना,
अकेली नहीं
XX
खामोशी बोली
मुझसे बातें करो
चुप्पी ना भली|

आपको बहुत बधाई एक शर्त के साथ -आप लिखती रहें. हाइकु के रस को प्रवाहित करने के लिए समय निकाल लिया करें. अपका काम अद्भुत है , श्लाघ्य है

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब ...
सभी हाइकू लाजवाब ...
कुछ शब्दों में कहते गहरी बात ...

Suryadeep Ankit Tripathi said...

"ख़ामोशी बोली....मुझसे बातें करो..... "
सच... ख़ामोशी अपना दर्द...कितनी ख़ामोशी से बयां कर जाती है...पता ही नहीं चल पाता...
और जब तक पता चलता है....तब तक ख़ामोशी..चीखों के हाथों क़त्ल हो चुकी होती है.....

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

गहन भाव लिए हुए सुन्दर हाईकू

Patali-The-Village said...

बहुत बेहतरीन हाइकू|

प्रवीण पाण्डेय said...

चित्र भावों को गाढ़ा कर गये।

SURENDRA BAHADUR SINGH (JHANJHAT) said...

ख़ामोशी बोली
मुझसे बातें करो
चुप्पी न भली |
........................बहुत सुन्दर हाइकू , कम शब्दों में बड़ी बातें

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) said...

बढ़िया हाइकू प्रस्तुत किया है आपने!

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

अच्चॆ हाइकु- ‘तुम बिन’... चार अक्षर... सुधार लें :)

Anita said...

बहुत प्यारे और दिल को छूने वाले हाइकू !

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सटीक और गहराई लिये हुये, शुभकामनाएं.

रामराम.

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

वाह.....आप भी अच्छे हाईकू लिख लेती हो......!!