| नागफनी और गुलाब
 
 
  
 
 दूर दूर रहते थे नागफनी और गुलाब,
 था एक घनिष्ठ मित्र जोड़ा -
 एक दिन नागफनी एकांत से झुंझला कर
 ईर्ष्या से बोला -
 ऐ गुलाब!!
 घायल तू भी करता है अपने शूलों के दंश से
 फिर भी सबका प्रिय है तू अपने फूलों और गंध से|
 तू दुलारा माली का कहते हैं बगिया की तुझसे शान है
 लेकिन मुझमे ही ज्यादा ऐब हों ऐसा मुझे  ज्ञान नहीं |
 तुम ही बोलो क्या मुझमे ही ढंग से जीने का ढंग नहीं |
 जबकि मुझ पर पल्लवित पुष्प भी कुछ गुणी और सुन्दर कम नहीं |
 फिर भी मैं निर्वासित हूँ, माली द्वारा परित्यक्त हूँ |
 एकांत में जीने के लिए मैं क्यों कर इतना अभिशप्त हूँ|
 भूल से उग आया था बगिया के अंदर मैं
 तब उखाड बाहर फेंका गया था मैं निर्जन बंजर में|
 मेरा ना कोई माली ना मुझको कोई छाँव है
 और तू जी रहा है बगिया के भीतर सुन्दर फूलों के गाँव में |
 
   सुन कर गुलाब ने चुप्पी तोड़ी|
 धीमे से बोला -
 मुझको करता है माली बेहद प्यार, इससे मैं अनभिज्ञ नहीं
 फिर भी जाने क्यों  मैं माली का हृदय से कृतज्ञ नहीं |
 वो कहतें हैं कि उनकी बगिया की शान हूँ मैं
 मुझ बिन उनके गुलदस्ते में आती जान नहीं |
 तोड़ लिया जाता है मेरे पल्लवित सुमन को
 सौगात बना कर  हर बार लुभाया जाता है प्रेमियों के मन को |
 मेरी सुंदरता, मेरी कोमलता को वो करते हैं अर्पण
 जहां होते हैं उनके श्रधेय आराध्य के चरण |
 भाग्य के मीठे फल की उनकी कामनाओं पर
 चढ़ा दिया जाता हूँ देवताओं के शीश पर,
 मेरे खिलते सुकुमार सुमन
 चढ़ जाते हैं बलि की भेंट बन श्रद्धा सुमन|
 
 इस सबके बीच मुझे बस सिर्फ खोना है |
 उनकी इच्छाओं के लिए मुझे तो सिर्फ अर्पित होना है|
 मेरी  दुनियाँ की परिधि है सीमित संकुचित इतनी
 जैसे मेरे तनों  पर मेरी पत्तियां चिपकी हुवी |
 मुझे नहीं मिल पाया मेरा खुला आसमान मेरी जमीन
 मैं बंद दीवारों में घुटता रहा हूँ  तू कर  यकीन |
 जड़ें मेरी सिमट कर आश्रित हो गयी हैं उनकी दया पे
 उनके रखरखाव के बिना लटक कर गिर जाऊँगा धरा पे|
 
 ऐ नागफनी !!
 देख तू ना बंधा है इस सुन्दर दिखने वाली कैद में
 मिला तुझे अपना एक विस्तृत संसार माली रुपी मोक्षद से|
 खुले आसमान ने जगा दी है तेरे जीने की तीव्र  इच्छा व जीवटता
 अकेले ही तू ऋतुवों के आक्रोश से रहा लड़ता खटता|
 अब माली के बिना तपिश में जीने के लिए ढल गया है तू
 अपनी हरियाली के भीतर नीर का शीतल समंदर बन गया  है तू|
 जुझारू तेरे निहित गुण से ऊर्जस्वी हो गया  है तू
 प्रस्फुटित होते पुष्प तुझ पर, खुद मुकुलित हो गया है तू|
 पुष्प तेरे भले ही लुभाते हो सभी को
 कोई तेरे पुष्पों को तोडेगा, नोचेगा या अर्पित करेगा
 इस बात का तुझे डर नहीं
 इस विछोह का तुझे कोई भय तो नहीं |
 इसलिए हे नागफनी!
 तू माली को धन्य कर
 अपनी धरती से तू नाता गहरा कर
 और बंधनमुक्त जीवन को महसूस कर|
 
 गुलाब की बातों पर नागफनी खुशी से मुकुराया
 नागफनी को खुश देख गुलाब भी मुस्कुराया |
 खुले में मंद बयार चलने लगी, नागफनी आनंद लेने  लगा|
 और गुलाब, वापस बगिया के अंदर ठहरी हवा में सिहर कर  सिमट गया|
 
 
   
 डॉ नूतन गैरोला    २१- अक्टूबर  - २०११
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19 comments:
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .... अगर संग रहना चाहे कोई तो फूल और कांटे भी साथ रह सकते है
बहुत सटीक और गहन जीवन दर्शन...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..
जीवन की सच्चाई को उजागर करती सुन्दर रचना| धन्यवाद|
सुन्दर प्रस्तुति |
त्योहारों की यह श्रृंखला मुबारक ||
बहुत बहुत बधाई ||
दूसरे की स्थिति हमेशा अच्छी ही लगती है...
गुलाब के कथ्य ने नागफनी को उसके सौभाग्य का एहसास करा दिया!
बेहद सुन्दर लिखा है!!!
बेहतरीन।
बेमिसाल।
लाजवाब।
गुलाब और नागफनी की भावनाओं का सुंदर और सटीक वर्णन।
बहुत ही खूबसूरती से अपना दोनों के अहसासों को व्यक्त किया है इस प्रस्तुति में आभार ।
पहली बार गुलाब कि पीड़ा का भी अहसास कराया आपने शुक्रिया !
सत्य को उजागर करती सुन्दर रचना।
नागफनी और गुलाब का संघर्ष शाश्वत है।
सच्चाई से रूबरू करवाने का आभार ........
आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को दिवाली की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
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अब तो गुलाब के पुष्प लेने के पहले सोचना पड़ेगा ...... बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति !
बहुत अच्छी भावपूर्ण कविता,बधाई !
सत्य अलग होता है दिखावे सेसे और सब के अंदर मन की व्यथा है, हर कोई दूसरे की तुलना कर दुखो से भर जाता है, पर सुख तो अपनी वास्तविकता को स्वीकार कर जीने में हैं|
दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
अँधेरे में प्रकाश फैले|
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dilkejajbat.blogspot.com
ekhidhun.blogspot.com
पर कभी आइयेगा| मार्गदर्शन की अपेक्षा है|
शानदार प्रस्तुति...
आपको धनतेरस और दीपावली की हार्दिक दिल से शुभकामनाएं
MADHUR VAANI
MITRA-MADHUR
BINDAAS_BAATEN
ज़बरदस्त .
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.
बहुत सुन्दर रचना|
आपको तथा आपके परिवार को दिवाली की शुभ कामनाएं!!!!
मुझ पर पल्लवित पुष्प भी कुछ गुणी और सुन्दर कम नहीं|
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति । अबुत-बहुत बधाई।
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