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Friday, November 11, 2011

मौन बातें - डॉ नूतन गैरोला









बातें
बेहिसाब बातें
हलचल मचा देतीं हैं
नटखट मछलियों सी
मन के शांत समंदर में
जबकि
भीतर गुनगुनाती है, गाती हैं शांत लहरें
और शांति की समृद्धि से तर खुशियाँ भरपूर रहती है
मेरे शब्द रहते हैं मौन
बेसुध मैं अनंत शांत यात्रा में
होती हैं मौन बाते खुद के मन से
लेकिन जब
मन रहता है मौन
और शब्द बिन आवाज
बोलने लगते हैं कुछ दिमाग
अनजान जो खामोश रहस्यों से
छिड़ जाता है एक संग्राम 
उनके कटु शब्दों का
मेरे मौन से …
तब
बलिदानी होता है
मौन |
और शब्दों को
स्याही का  
आवाज का अम्लिजामा देता है 
उन अस्थिर अशांत मन में
करता है शांति का पुनर्वास
और  
अपने शांत मन का चैन खो
उनको चैन देता है |…



डॉ नूतन गैरोला


लिखी गयी – ११ / ११ /११  ११:११ …बहुत आश्चर्य हुआ जब लिख कर फेसबुक में पोस्ट कर रही थी कम्प्युटर ११:११ am 11-11-11 तारीख दिखा रहा था … याद  आती रहेगी ये तारीख ….. हां कविता लिखते समय अन्ना जी के मौन व्रत की याद आई … लेकिन वह अलग था ..


फेसबुक पर मेरी पोस्ट का हिस्सा


१)

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नफरतों से कह दो हमसे दूर रहें वो
प्रेम से हमें फुर्सत कहाँ
उसमे ही खो कर हमें
खुद को पाना है वहाँ……

 
२)
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जीवन दर्पण कांच का, मोह धूल लग जाए,
धुल जाए ये धूल जो, तुझको तू मिल जाए|.
 
 
३)
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एक दिल हो जो न हो कठोर कभी - दयालू हो
एक स्पर्श हो सदा जो कोमल हो - सहारा बने
अग्नि न बने जो झुलसाये किसी को - छाया हों
भावना हो जो कभी चोट न दे किसी को - मरहम बने |
 
नूतन

22 comments:

अनुपमा पाठक said...

सुन्दर!

अनुपमा पाठक said...

शब्द कागज़ पर बह आयें तो मन शांत हो जाता है...!
कोलाहल से दूर, मन का मौन उर्जावान करता रहे....
शुभकामनाएं!

ASHA BISHT said...

behad sundar rachna.......

Human said...

बहुत अच्छी कविता व प्रस्तुतीकरण, बहुत अच्छे से आपने मौन को परिभाषित किया है ।

अपने विचारों से अवगत कराएँ !
अच्छा ठीक है -2

प्रवीण पाण्डेय said...

मौन को मुखर होते देर नहीं लगती है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मौन पर बहुत सुन्दर भाव लिखे हैं ... क्षणिकाएँ भी गहन हैं .

सदा said...

भावमय करते शब्‍दों का संगम ..

abhi said...

Beautiful!!

M VERMA said...

11/11/11
बहुत सुन्दर रचना

Rakesh Kumar said...

गहन भावों को अभिव्यक्त करती आपकी प्रस्तुति
अच्छी लगी.
11.11 am 11.11.11 वाह! क्या बात हैं, नूतन जी.

Er. सत्यम शिवम said...

नूतन जी....बहुत सुंदर और संवेदनशील रचना....लाजवाब।

udaya veer singh said...

अपने शांत मन का चैन खो
उनको चैन देता है |…
संवेदना परक भाओं का सुन्दर समुच्चय ,शुक्रिया जी

चन्दन..... said...

सुन्दर एवं सम्वेदनशील..

मन के - मनके said...

जब मौन व्योम सा हो जाय?काशः ऐसा हो पाता.सुंदर.

kanu..... said...

bahut hi sundar.sach hai batein hi to hai.....

कविता रावत said...

मौन में भी हम कहाँ मौन रहते है ..अंतर्मन में द्वंद जो चलता रहता है..
मन की मौन दशा को सुन्दर ढंग से प्रस्तुत करने हेतु धन्यवाद...

anju(anu) choudhary said...

मन की बेचैनी जब लेखनी में उतरती है तो ..बेचैन मन के शब्द बन जाते है वो

mahendra verma said...

कभी-कभी मौन का सम्मान करना हितकर होता है।
सुंदर कविता।

रचना दीक्षित said...

मौन का द्वारा आन्दोलित अंतर्द्वन्द.

बहुत सुन्दर प्रस्तुति..आभार

वर्ज्य नारी स्वर said...

बहुत सुन्दर भाव हैं

इमरान अंसारी said...

मौन को मुखर करती ये पोस्ट बहुत शानदार लगी |

rpkimothi said...

सुंदर... रचना.. बधाई